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व्यक्तिगत गारंटी को भुनाना लेनदोरों के लिए कठिन

Last Updated- December 12, 2022 | 2:41 AM IST

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक डूबते हुए ऋण की वसूली के लिए चूक करने वाली कंपनी के प्रवर्तकों द्वारा दी गई व्यक्तिगत गारंटी को भुनाने के लिए नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) का रुख कर रहे हैं। ऑडिटरों और वकीलों का कहना है कि प्रवर्तकों द्वारा दी गई व्यक्तिगत गारंटी को भुनाना लेनदारों के लिए आसान नहीं होगा क्योंकि कोई भी प्रवर्तक परिसंपत्तियों का पंजीकरण अपने नाम पर नहीं कराता है।
 
कुछ विदेशी बैंकों ने प्रवर्तकों की विदेशी में मौजूद परिसंपत्तियों के बारे में पता लगाने के लिए निजी जासूसों को नियुक्त किया है लेकिन बहुत  कम भारतीय बैंक ऐसे उपायों का सहारा लेते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने मई में कॉरपोरेट उधारकर्ताओं की व्यक्तिगत गारंटी को भुनाने का रास्ता साफ कर दिया था। उसके बाद कई लेनदारों ने चूककर्ताओं से अपने बकाये की वसूली के लिए एनसीएलटी का रुख किया। ऐसे ही एक मामले में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने डीएचएफएल के पूर्व प्रवर्तक कपिल वधावन के खिलाफ एनसीएलटी का रुख किया है। डीएचएफएल पर बैंकों के एक कंसोर्टियम का 79,000 करोड़ का बकाया है। इसी प्रकार, भारतीय स्टेट बैंक ने 48,000 करोड़ रुपये के ऋण डिफॉल्ट मामले में भूषण स्टील ऐंड पावर के गारंटर संजय सिंघल और आरती सिंघल की व्यक्तिगत गारंटी को भुनाने की कोशिश की है। एक पूर्व बैंकर ने कहा कि भारत में व्यक्तिगत गारंटी को भुनाना काफी कठिन है क्योंकि ऐसे मामलों में मुकदमेबाजी में वर्षों लग जाते हैं और इस प्रकार लेनदारों की दिलचस्पी कम होने लगती है। उन्होंने कहा, ‘भारत में कुछ ही ऐसे मामले हैं जहां बैंकों को व्यक्तिगत गारंटी से कोई वसूली हो पाई है। विजय माल्या का ही उदाहरण लेते हैं। वर्षों की मुकदमेबाजी के बाद इस साल बैंकों को अपने बकाये के महज एक हिस्से की वसूली हो पाई है। ऐसे कई मामलों में फिलहाल मुकदमेबाजी चल रही है।’
 
एक निजी बैंक के कॉरपोरेट ऋण विभाग के प्रमुख ने कहा कि व्यक्तिगत गारंटी को भुनाने का परीक्षण होना अभी बाकी है। पहले इससे कुछ भी वसूली नहीं हो पाती थी। हालांकि इससे दिवालिया घोषित होने का डर पैदा होगा जो एक निवारक के तौर पर काम करेगा। इससे कुछ हद तक बैंकों को वसूली के लिए ताकत मिलेगी। हालांकि इससे कभी भी पूरी वसूली नहीं हो पाएगी क्योंकि कोई भी गारंटी ऋण को पूरी तरह कवर नहीं कर सकती है। जहां तक परिसंपत्तियों (गारंटी) के हस्तांतरण का सवाल है तो लेनदारों को धैर्य के साथ वसूली करना होगा।
 
वकीलों ने कहा कि उन मामलों में ऋणदाता व्यक्तिगत गारंटी को भुनाने के लिए स्वतंत्र होंगे जहां समाधान योजनाएं विशेष तौर पर व्यक्तिगत गारंटर के खिलाफ जाने की अनुमति देती हों। लेकिन ऐसे मामले अपवाद ही होते हैं।  डीएसके लीगल के पार्टनर नीरव शाह ने कहा, ‘हालांकि समाधान योजना इस तरह का अपवाद प्रस्तुत नहीं करती है तो व्यक्तिगत गारंटर ऐसा तर्क दे सकते हैं कि लेनदार गारंटी को भुनाने का अधिकार खो चुके हैं। जब लेनदार समाधान योजना को स्वीकार करते हैं और उसके तहत भुगतान हासिल करते हैं तो उनकी गारंटी खत्म हो जाती है।’

First Published - July 16, 2021 | 6:04 PM IST

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