एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने सोमवार को कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बड़ी कॉरपोरेट चूक के बीच भारत के कमजोर कॉरपोरेट प्रशासनिक रिकॉर्ड को देखते हुए उसे बैंकों में कॉरपोरेट स्वामित्व की अनुमति दिए जाने को लेकर आशंका है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंतरिक कार्य समूह ने शुक्रवार को बड़ी कंपनियों को बैंक स्थापित करने और मजबूत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को बैंकिंग लाइसेंस दिए जाने का सुझाव दिया था।
एसऐंडपी ने कहा है, ‘हमारी नजर में, कार्य समूह की चिंता हितों के टकराव, आर्थिक शक्ति संकेंद्रण से संबंधित है और कंपनियों को अपने स्वयं के बैंकों की अनुमति में वित्तीय स्थायित्व को लेकर संभावित जोखिम हैं। बैंकों के कॉरपोरेट स्वामित्व ने अंतर-समूह उधारी, कोषों के विभाजन को लेकर जोखिम बढ़ाया है।’
हालांकि उसका यह भी मानना था कि एनबीएफसी को बैंक बनाने से वित्तीय स्थायित्व में सुधार आ सकता है, जबकि इसे लेकर भी चेताया कि आरबीआई को गैर-वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों की निगरानी में चुनौतियों का सामना करना होगा और निगरानी संसाधनों पर ऐसे समय में और दबाव पड़ेगा जब भारत के वित्तीय क्षेत्र की सेहत कमजोर बनी हुई है।
प्रस्तावित मानकों से सकारात्मक बदलावों का जिक्र करते हुए रेटिंग एजेंसी ने कहा कि सभी बैंकों (नए और पुराने, दोनों) के लिए लाइसेंस नियमों को अनुकूल बनाने के सुझावों से सभी कंपनियों के लिए समान अवसर वाला क्षेत्र पुन: मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।
सभी बैंकों के लिए न्यूनतम नेटवर्थ बढ़ाकर 1,000 करोड़ रुपये किए जाने का आरबीआई का प्रस्ताव बेहतर पूंजीकरण सुनिश्चित करेगा। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि गहरी पैठ वाले प्रवर्तक की बैंकिंग सेक्टर में प्रवेश कर सकेंगे।
