बैंक आवास वित्त कंपनियों, रिटेल ऋणदाताओं और स्वर्ण ऋण देने वाले गैर-बैंकिंग ऋणदाताओं के मुकाबले अपनी बाजार भागीदारी बढ़ाने में कामयाब हो रहे हैं। ऋण बाजार में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की बाजार भागीदारी में बड़ी गिरावट आई है, क्योंकि बैंकों को उधारी बढ़ाने में मदद मिली है।
एनबीएफसी की बाजार भागीदारी वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में घटकर 19.8 प्रतिशत के पांच वर्ष के निचले स्तर पर रह गई, जो वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में 20.3 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2019 की पहली छमाही में 23.1 प्रतिशत थी। जब एनबीएफसी ने देश के ऋण में अपनी भागीदारी बढ़ाई थी और बैंकों के मुकाबले उनका मुनाफा ज्यादा बढ़ा तो इस करीब एक दशक पुरानी प्रक्रिया में बदलाव दर्ज किया गया।
एनबीएफसी की बाजार भागीदारी आगामी तिमाहियों में और घट सकती है, क्योंकि बैंकों की ऋण बुक लगातार तेजी से बढ़ रही है। बिजनेस स्टैंडर्ड के नमूने में शामिल 31 सूचीबद्ध बैंकों का संयुक्त ऋण बहीखाता वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में सालाना आधार पर 20.4 प्रतिशत बढ़ा जबकि 41 सूचीबद्ध एनबीएफसी द्वारा 11.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
इस साल सितंबर के अंत में बैंकों का संयुक्त ऋण बहीखाता 125.3 लाख करोड़ रुपये की ऊंचाई पर पहुंच गया, जो मार्च के अंत में 116 लाख करोड़ रुपये और एक साल पहले 104 लाख करोड़ रुपये था। तुलनात्मक तौर पर, 41 एनबीएफसी के संयुक्त ऋण इस साल सितंबर के अंत तक बढ़कर 30.92 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गए जो मार्च के अंत में 29.63 लाख करोड़ रुपये और एक साल पहले 27.83 लाख करोड़ रुपये थे।
वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में, सभी ऋणदाताओं के संयुक्त शुद्ध लाभ में एनबीएफसी का योगदान 29.4 प्रतिशत था, जो कोविड-पूर्व करीब 52 प्रतिशत के औसत से काफी कम है। बैंकों और एनबीएफसी की शेयर कीमतों में उतार-चढ़ाव से यह संकेत मिलता है कि इक्विटी निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि बैंक अपने गैर-बैंकिंग प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले लगातार तेजी से बढ़ेंगे।
बैंकों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण 2022 में इस साल अब तक (वाईटीडी) आधार पर 26.2 प्रतिशत तक बढ़कर शुक्रवार को 34.9 लाख करोड़ रुपये की ऊंचाई पर पहुंच गया। इसके विपरीत समान अवधि में, एनबीएफसी का संयुक्त बाजार पूंजीकरण शुक्रवार को वाईटीडी आधार पर 1.7 प्रतिशत घटकर 15.05 लाख करोड़ रुपये रह गया।
दरअसल, एनबीएफसी का संयुक्त बाजार पूंजीकरण अभी भी अक्टूबर 2021 के अपने 16.45 लाख करोड़ रुपये के सर्वाधिक ऊंचे स्तरों से नीचे बना हुआ है। वित्त वर्ष 2012 की पहली छमाही और वित्त वर्ष 2019 की पहली छमाही के बीच उधारी में एनबीएफसी की भागीदारी दोगुनी से ज्यादा की वृद्धि के साथ 11 प्रतिशत से बढ़कर 23.1 प्रतिशत हो गई।
समान अवधि में, एनबीएफसी का छमाही लाभ वित्त वर्ष 2012 की दूसरी छमाही के 11,600 करोड़ रुपये से 180 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2019 की पहली छमाही में 32,600 करोड़ रुपये हो गया। यह विश्लेषण 42 सूचीबद्ध बैंकों और 41 सूचीबद्ध एनबीएफसी की छमाही बैलेंस शीट और लाभ एवं नुकसान पर आधारित है।