भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा गठित इंटरनल वर्किंग समूह (आईडब्ल्यूजी) की रिपोर्ट भारतीय वित्तीय सेवा कंपनियों के लिए सप्ताहांत तोहफा थी। इस रिपोर्ट में निजी क्षेत्र के भारतीय बैंकों के लिए स्वामित्व दिशा-निर्देशों और कॉरपोरेट ढांचे की समीक्षा की गई है। चाहे यह बैंकिंग सेक्टर में औद्योगिक घरानों को शामिल करने के लिए उसका सुझाव हो, या फिर से बैंकों के प्रवर्तकों को 26 प्रतिशत तक हिस्सेदारी या गैर-प्रवर्तक निवेशकों को 15 प्रतिशत हिस्सेदारी तक की अनुमति का प्रस्ताव हो, ये आईडब्ल्यूजी द्वारा प्रस्तावित बेहद महत्वपूर्ण ढांचागत बदलाव हैं।
मैक्वेरी कैपिटल के सुरेश गनपति ने इन सुझावों को मजबूत सिफारिशें करार दिया है, हालांकि उन्हें इसे लेकर संदेह है कि क्या इन पर वास्तविकता से अमल होगा। ऐसी राय जाहिर करने वाले वह अकेले नहीं हैं। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के विश्लेषकों का भी कहना है कि इन सुझावों की स्वीकार्यता एक प्रमुख सवाल है। उन्होंने कहा, ‘निर्णायक तौर पर स्वीकार्यता आरबीआई पर निर्भर है।’ फिर भी, विश्लेषकों का मानना है कि आशंकाओं के बावजूद बैंकों और एनबीएफसी के शेयर इन सुझावों को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दिखाएंगे।
एचडीएफसी बैंक और इंडसइंड बैंक दो प्रमुख प्रवर्तक-केंद्रित बैंक, जिनमें इंडसइंड बैंक के प्रवर्तक बैंक में अपना हिस्सा बढ़ाने के लिए आरबीआई के साथ अनुरोध पहले ही कर चुक हैं। आईडब्ल्यूजी की सिफारिशें 15 जनवरी 2021 तक सुझाव आमंत्रित किए जाने के लिए खुली हुई हैं और उसके बाद ही इस संबंध में अंतिम दिशा-निर्देश बनाए जाएंगे। हिंदुजा गु्रप ऑफ कंपनीज (भारत) के चेयरमैन अशोक हिंदुजा ने इन प्रस्तावों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘प्रवर्तक जिम्मेदारिया सुनिश्चित कर संस्थागत ढांचे को मजबूत बनाने में मदद मिलती है।’ विश्लेषकों को उम्मीद है कि इंडसइंड बैंक का शेयर प्रवर्तकों के इरादों को देखते हुए सोमवार को सकारात्मक दायरे में कारोबार करेगा। ऐक्सिस बैंक, आरबीएल बैंक और येस बैंक जैसे गैर-प्रवर्तक केंद्रित बैंकों ने इस साल बड़ी निजी इक्विटी (पीई) कंपनियों बेन कैपिटल, बैरिंग कैपिटल और टिल्डेन पार्क के साथ भागीदारी की है। मझोले आकार के बैंक के मुख्य कार्याधिकारी ने कहा, ‘प्रस्तावित मानकों से हमारी मूल्य निर्धारण ताकत में इजाफा होगा।’ विश्लेषकों के अनुसार, ‘अन्य प्रमुख नामों में, आईसीआईसीआई बैंक, आईडीएफसी फस्र्ट बैंक, फेडरल बैंक और डीसीबी बैंक लाभान्वित हो सकते हैं।’ नए सुझावों के अनुसार, 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के परिसंपत्ति आकार वाली एनबीएफसी बैंकिंग लाइसेंस की उम्मीदवार बन सकती हैं। कई प्रमुख एनबीएफसी इसमें सक्षम होंगी। हालांकि वे 2016 से ही बैंकिंग लाइसेंस के लिए पात्र थीं, लेकिन सवाल यह है कि क्या वे दूसरी बार (श्रीराम समूह और पीरामल एंटरप्राइजेज के मामले में तीसरी बार) भाग्यशाली रहेंगी या नहीं।
बजाज फिनसर्व, एलऐंडटी फाइनैंस या एमऐंडएम फाइनैंस 2012 में बैँकिंग लाइसेंस के लिए दावेदार थीं, हालांकि आखिर में आरबीआई ने बैंकिंग लाइसेंस के लिए आईडीएफसी और बंधन को चुना था। एक विदेशी ब्रोकरेज के शोध प्रमुख ने कहा, ‘एलऐंडटी फाइनैंस और एमऐंडएम फाइनैंस जैसी कुछ एनबीएफसी ने पूरी तरह बदलाव दर्ज किया है क्योंकि उन्हें शुरू में लाइसेंस नहीं मिला था।’
