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शुल्क आधारित आय से मुनाफा बढ़ाने पर बैंकों का फोकस, कोषागार आय में कमी से नई रणनीति पर काम

आरबीआई दर कटौती से घटती ब्याज आय की भरपाई के लिए बैंक शुल्क आधारित सेवाओं, पीएसएल सर्टिफिकेट और डिजिटल क्रॉस सेल से आमदनी बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं

Last Updated- September 14, 2025 | 9:44 PM IST
Bank
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

बैंक अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए शुल्क पर आधारित सेवाओं, उत्पादों की पेशकश और वसूली पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इस वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही (दूसरी तिमाही) में कोषागार से आय कम रहने की उम्मीद है, जिसके कारण अन्य तरीके अपनाए जा रहे हैं।

हाल में की गई नीतिगत दर में कटौती के बाद शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) और शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) में कमी आई है, जिसे देखते हुए बैंकों ने अन्य तरीके अपनाने शुरू किए हैं। बैंकरों ने कहा कि प्राथमिकता क्षेत्र वाले ऋण (पीएसएल) प्रमाणपत्रों की बिक्री और वेल्थ मेनेजमेंट सर्विस मुहैया कराकर आमदनी बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है।

बैंकरों ने कहा कि सावधि जमा पर दरें घटाने की अभी भी गुंजाइश है, और थोक जमा दरें पहले ही कम हो गई हैं।  इन उपायों से ब्याज से होने वाली आमदनी पर पड़ रहे दबाव को रोकने में मदद मिलने की उम्मीद है। एक सरकारी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस तिमाही (दूसरी तिमाही) में कोषागार से आय कुल मिलाकर शुद्ध कमाई को समर्थन करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी। ऐसे में जहां तक शुद्ध लाभ का संबंध है, बैंकों का ध्यान अन्य स्रोतों से आमदनी बढ़ाने पर है, जिसमें शुल्क पर आधारित आमदनी और थर्ड पार्टी के प्रोडक्ट बेचना शामिल है। पीएसएल प्रमाणपत्रों की बिक्री करने पर विशेष ध्यान होगा क्योंकि आमदनी के अन्य स्रोत सीमित हैं।

वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘एक अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्र रिटर्न ऑफ अकाउंट से रिकवरी और एनसीएलटी या एनएआरसीएल खातों से रिकवरी है, जिससे बैंकों को मदद मिलने जा रही है।’बैंकों की अन्य आमदनी में शुल्क और कमीशन, राइट-ऑफ ऋणों से वसूली, ट्रेजरी ऑपरेशंस से लाभ और इन्वेस्टमेंट्स की बिक्री शामिल है।

विश्लेषकों के अनुसार वित्त वर्ष 2025 के दौरान शीर्ष 10 बैंकों की शुल्क आमदनी में लगभग 13 प्रतिशत वृद्धि हुई है। शुल्क से आमदनी, उनकी कुल आमदनी का लगभग पांचवां हिस्सा (18 प्रतिशत) थी। बैंकरों को उम्मीद है कि दूसरी तिमाही  में भी शुल्क से होने वाली आमदनी 12 से 13 प्रतिशत बढ़ेगी। शीर्ष बैंकों की शुल्क से मुख्य आमदनी (कमीशन, एक्सचेंज शुल्क और ब्रोकरेज) और कुल संपत्तियों का अनुपात भी कुछ अपवादों के साथ पक्ष में रहा है। यूनियन बैंक ने 10 आधार अंक, जबकि भारतीय स्टेट बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और ऐक्सिस बैंक ने 2 से 5 आधार अंक की वृद्धि दर्ज की है। नए ग्राहकों को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के प्रतिबंध के कारण कोटक बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा ने 4 आधार अंक की गिरावट दर्ज की है।

भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन सीएस शेट्टी ने वित्त वर्ष 2025 की सालाना रिपोर्ट में कहा था कि बैंक शुल्क आधारित आमदनी बढ़ाने डिजिटल क्रॉस सेट क्षमता के इस्तेमाल पर ध्यान केंद्रित रखेगी, जिससे वृद्धि को गति मिले और दीर्घावधि मूल्य का सृजन हो सके।  शेट्टी ने कहा, ‘हम अनुशासित लागत प्रबधन, संपत्ति मिश्रण बढ़ाकर, शुल्क आधारित आय बढ़ाकर अपना मुनाफा प्रोफाइल सुधारने को प्रतिबद्ध हैं। मजबूत कासा वृद्धि के साथ डिजिटल क्रॉस सेल क्षमता और मार्जिन को लेकर संवेदनशील संपत्तियों में आवंटन बढ़ाकर हम टिकाऊ रिटर्न को लेकर एक मॉडल तैयार कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि इस रणनीतिक बदलाव से बैंक को धीमी ऋण वृद्धि जैसी चुनौतियों का सामना करने और अपनी समग्र लाभप्रदता में सुधार करने में मदद मिलने की उम्मीद है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने फरवरी 2025 से अब तक नीतिगत दर में 100 आधारअंक की कटौती की है। उसके बाद बैंकों ने अपनी ऋण और जमा दर में कटौती की है। नए ऋण पर ब्याज दरें भी करीब 71 आधार अंक कम हुई हैं, जबकि नई जमा दर में 87 आधार अंक की कटौती हुई है।

बहरहाल मुद्रा बाजारों में जून की पॉलिसी के बाद मौद्रिक नीति का असर रहा है। रिजर्व बैंक द्वारा 50 आधारअंक की कटौती किए जाने से कम और दीर्घ दोनों अवधियों की जी सैक यील्ड बढ़ी है। जून पॉलिसीके बाद सरकारी बॉन्डों का यील्ड 30 आधार अंक से ज्यादा बढ़ा है।

10 साल वाले बेंचमार्क सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) की यील्ड कैलेंडर वर्ष2024 के अंत के करीब 6.8 प्रतिशत से गिरकर मई के अंत में 6.20 प्रतिशत पर आ गई है और जून में 6.48 प्रतिशत पर खत्म हुई। तब से यह और बढ़कर 6.48 प्रतिशत पर पहुंच गया है। बॉन्ड यील्ड और बॉन्ड वैल्यू विपरीत रूप से एक दूसरे से जुडे हैं और दोनों में विपरीत सह संबंध हैं। जैसे जैसे यील्ड घटती है, बॉन्ड की कीमतें बढ़ती हैं और इसके विपरीत भी होता है।

एक अन्य सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) के बीच कोषागार से जितनी आय थी, उसनी इस तिमाही के दौरान नहीं होगी। पहली तिमाही में शुल्क आधारित आमदनी में मामूली वृद्धि दर्ज की गई, लेकिन इस बाद दूसरी तिमाही में हम 12 से 13 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगा रहे हैं।’

सरकारी बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इस तिमाही में (दूसरी तिमाही) मिड कॉर्पोरेट सेग्मेंट पर ध्यान है, जिसमें तुलनात्मक रूप से ज्यादा यील्ड है। हमने पहली तिमाही में जमा दर  और सावधि जमा दर में कमी की थी।  वहीं बचत दर में 25 आधार अंक की कटौती की, जो इस तिमाही से प्रभावी होगा और मुनाफे में मदद करेगा।’

First Published - September 14, 2025 | 9:44 PM IST

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