अरेवा टी ऐंड डी के लिए यह साल संतोषजनक नहीं कहा जा सकता है। दूसरे शब्दों में कहें तो इस साल कंपनी की शुरुआत अच्छी नहीं रही है।
मार्च 2009 तिमाही में ट्रांसमिशन और डिस्ट्रिब्यूशन (टी एंड डी) उपकरण कंपनी के शुध्द मुनाफे में 5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है और कंपनी का शुध्द मुनाफा 51.4 करोड़ रुपये रहा।
कच्चे माल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी की वजह से कंपनी के परिचालन मुनाफा मार्जिन में भी गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट 400 बेसिस प्वाइंट तक दर्ज की गई है। यही नहीं कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी होने की वजह से अनुबंधों पर भी प्रतिकूल असर देखने को मिला है। इस वक्त अरेवा करीब 14 उत्पाद बनाती है, जिसके लिए विभिन्न प्रकार की उपकरणों की जरूरत होती है।
बहरहाल, अरेवा अब कारोबार का प्रारूप बदल रही है। अरेवा अब महज एक उपकरण आपूर्तिकर्ता के रूप में ही अपनी साख बनाने के बजाए टी ऐंड डी सॉल्यूशंन प्रदाता के रूप में खुद का विस्तार कर रही है। इस वजह से कंपनी के मार्जिन पर बुरा असर पड़ रहा है।
अरेवा टी ऐंड डी के प्रबंध निदेशक रतींद्र बसु ने बताया कि, ‘एक उपकरण वितरण करने वाली कंपनी के रूप में अपनी साख बनाने के बाजए हम वास्तव में एक संपूर्ण सॉल्यूशंन प्रदाता के रूप में खुद को स्थापित होने की जुगत में हैं। हम इस दिशा में इसलिए भी बढ़ना चाहते हैं क्योंकि इससे हमारे कारोबार को एक अलग पहचान मिलेगी और उसमें विकास भी होगा।’
बसु ने बताया, ‘निस्संदेह ऐसा भी संभव है कि इस दिशा में आगे बढ़ने से शुरुआती स्तर पर मार्जिन में गिरावट का सामना करना पड़े। मार्जिन में गिरावट इसलिए भी होगा क्योंकि उत्पाद सप्लाई के मुकाबले इस तरह की परियोजनाओं में मार्जिन बमुश्किल 3-4 फीसदी ही होता है।’
इसका मतलब यह हुआ कि साल 2008 में अरेवा ने जो 16 फीसदी परिचालन मुनाफा मार्जिन (ओपीएम) हासिल किया था और उसे उसी स्तर पर बनाए रखना काफी कठिनाइयों भरा होगा। हालांकि बसु का मानना है कि खास तौर से हाई वोल्टेज लाइनों-765 केवीए और 1,200 केवीए की वजह से आगे फायदा मिलेगा।
765 केवीए लाइन में कमीशन के अलावा अरेवा ने अन्य दो लाइनों को भी अपने नाम किया है। बड़ी बात यह है कि अरेवा ने घोषित की गई 14 परियोजनाओं में से 6 परियोजनाओं पर जीत हासिल कर ली है। इन पेशकशों का आकार 100-350 करोड़ रुपये के बीच ही होगा लेकिन मार्जिन ज्यादा आकर्षक नहीं होगा।
