अप्रैल के मुकाबले बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिटों की कमाई में 15 से 20 फीसदी का इजाफा होने के कारण कई लोग अब इस उपकरण में अपना पैसा लगाने में दिलचस्पी ले रहे हैं।
मसलन हिंदुस्तान यूनीलीवर लि. में काम करने वाले एक व्यक्ति सचिन शाह की बात करे तो पिछले पांच महीनों के दौरान इन्होने फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी में कुल पांच लाख रुपये लगाए हैं। नई जमा दरों के मुताबिक अब शाह को पहले के 8.25-8.75 फीसदी के मुकाबले 9.5 फीसदीसालाना की दर से ब्याज मिलेगा।
इस प्रकार एक साल पहले शाह ने आठ लाख रुपये लगाए थे जिस पर उन्हें 8.25 फीसदी की दर से ब्याज मिलेगा जबकि अप्रैल के बाद लगाए गए पांच लाख रुपये पर 9.5 फीसदी की दर से ब्याज मिल सकेगा। सालाना आधार पर अगर कमाई की बात करें तो अतिरिक्त जमा किए गए पांच लाख रुपये पर अप्रैल तक जहां 42,000 रुपये की कमाई होती थी वहीं अब नए दर से अप्रैल तक कुल कमाई 50,000 रुपये की होगी।
जिस कदर रिजर्व बैंक के द्वारा मौद्रिक नीति को रेपो रेट, सीआरआर, पीएलआर में बढ़ोत्तरी के साथ सख्त रखा है उस लिहाज से कई बैंकों ने उसी गति से जमा दरों में इजाफा नही किया है। मसलन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने पीएलआर दरों में जहां एक फीसदी की वृद्धि की है वहीं अपने जमा दरों को महज एक चौथाई या फिर एक तिहाई फीसदी बढ़ाया है।
इतना ही नही बल्कि एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया सहित कई सारे मार्गेज के खिलाड़ियों मसलन एचडीएफसी ने जमा दरों को पहले जैसा ही छोड़ रखा है ताकि उनके नेट इंट्रेस्ट मार्जिन पर कोई आंच न आए। इस बारे में एक्सिस बैंक ट्रेजरी हेड पार्थो मुखर्जी का कहना है कि प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए जमा दरों पर एक गहरी नजर रखना बेहद जरूरी है।
हमारी परिसंपत्ति एवं देनदारी समिति (एल्को) सबसे पहले दूसरे बैंकों के द्वारा हालिया जमा दरों किए गए इजाफे से पड़ने वाले असर का जायजा लेगी। जबकि अपने एफडी दरों को बढ़ाने से पहले हम निवेशकों की प्रतिक्रिया का मूल्यांकन करना चाहेंगे। हालांकि निवेशकों की बात की जाए तो शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव का माहौल रहने के कारण निवेशक एफडी की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं।
बकौल शाह उन्होंने जनवरी के बाद से बाजार गिरने के कारण इक्विटी में निवेश करना बंद कर दिया है। विशेषकर एफडी ज्यादा बेहतर हैं और उन्होने अपनी कुल बचत का 40 से 50 फीसदी एफडी में लगाया है। उन्होने ज्यादातर निवेश 15 महीनों की अवधि में लगाया है क्योंकि इस अवधि में परिपक्व होने वाली रकम पर सबसे बढ़िया ब्याज दर मिलती है।
एक दूसरे निवेशक सतीश अग्रवाल की बात करें तो उन्होने अप्रैल के बाद से एफडी दरों में इजाफे के कारण पुर्ननिवेश योजना के तहत अपने कुल निवेश का 30 से 40 फीसदी इसमें लगाया है। इस पर मुझे कर की भी छूट मिली है क्योंकि मेरे पास आय के कोई और साधन नही हैं।
निवेश सलाहकारों के मुताबिक एफडी में निवेश वरिष्ठ नागरिकों के लिए सबसे मुफीद है क्योंकि उम्र ज्यादा होने के कारण वह आधा फीसदी ज्यादा कमाई कर सकेंगे। रादा एडवाइजर्स के प्रमुख निवेश अधिकारी नितिन राहेजा कहते हैं कि वरिष्ठ नागरिक अपने किटी रकम का 65 से 70 फीसदी फिक्स्ड इनकम वाले उत्पादों में निवेश कर सकते हैं। हां इस कुल रकम का 50 फीसदी बतौर बैंक डिपॉजिट रहना चाहिए क्योंकि ये जोखिम मुक्त होते हैं।