पिछले कुछ महीने से उपभोक्ता बढ़ती महंगाई की आग में झुलस रहे हैं। 12 जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह में महंगाई दर में मामूली गिरावट आई और यह 11.89 प्रतिशत पर पहुंच गया।
वैसे यह अंतर तो मामूली था, लेकिन इसके बावजूद लोगों ने राहत की सांस ली। ऐसे समय में हर व्यक्ति के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वे अपनी बचत रणनीति और मासिक बजट पर गौर करे। इस संबंध में जो सबसे बेहतरीन तरीका है, वह है लागत के मोर्चे पर बचत करने की।
यह बात बिल्कुल स्पष्ट है कि ब्याज दरों के बोझ ने स्थितियां बदतर क र दी है। इस अनिश्चय भरे समय में यह काफी जरूरी हो जाता है कि आप जहां भी निवेश कर रहे हैं, उससे आपको ज्यादा से ज्यादा प्राप्ति की संभावना रहे। मिसाल के तौर पर अगर महंगाई की दर 12 प्रतिशत के आंकड़े को छू लेती है, तो आपको अपनी आय में कर आदि को छोड़कर 17-18 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर लेनी चाहिए, ताकि
आपकी जेब पर ज्यादा असर न पड़े।
जब आप अपनी मेहनत की कमाई को बैंक में जमा करते हैं, तो आपके हिसाब से वह एक सुरक्षित और बेहतर तरीका रणनीति होती है, लेकिन इससे आपकी जमा की गई राशि की क्रय क्षमता घट जाती है और आपके धन का क्षरण शुरू हो जाता है। लेकिन राशि का कुछ न कुछ तो उपयोग होना चाहिए। इसका इस्तेमाल सेवानिवृत्ति के दिनों में किया जा सकता है या जब आपको लोन की बड़ी राशि चुकानी हो, तो आप इस राशि का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आप दूर की सोचते हैं, तो महंगाई के असर को कम करने के लिए आप सोने और इक्विटी में भी निवेश कर सकते हैं।
आप अपनी परिसंपत्तियों के आवंटन के आधार पर इक्विटी की संख्या को बढ़ा सकते हैं, ताकि मुसीबत के क्षणों में ये आपके काम आ सकें। इस लिहाज से सोना भी एक बेहतर आइडिया है। हालांकि इस संबंध में यह जरूरी है कि इसकी स्केलिंग बदलते रूख के मुताबिक होती रहे। वैसे सोना आपको जल्दबाजी में कोई बड़ा फायदा देता हुआ नहीं दिखेगा। सोने से अगर आपको लाभ की उम्मीद है, तो उसके लिए आपको थोडा इंतजार करना होगा, तब जाकर ही आपको फायदा नजर आएगा।
कुछ ज्वेलरी वाले तो अब ग्राहकों से केवल सोने की कीमत लेते हैं और उसकी बनाई का चार्ज भी नहीं लेते। आवासीय संपत्तियों में निवेश करना एक अच्छा हेज साबित हो सकता है, लेकिन उसमें कुछ बातें ध्यान में रखने की जरूरत है। जैसे जैसे आपका मासिक बजट बढ़ता है, उसी हिसाब से आपका खर्च भी बढ़ता है और इस लिहाज से यह भी जरूरी है कि आपकी बचत का बजट भी उसी हिसाब से बढ़ना चाहिए। बढ़ती महंगाई और ब्याज दरों की अवधि में यह ध्यान रखने की जरूरत है कि आप अपनी बचत में किसी प्रकार की कटौती न करें। इसके अलावा आपको यह ध्यान देना चाहिए कि आप स्मार्ट तरीके से खर्च करें।
स्मार्ट खर्च के तहत आप ऐसा कर सकते हैं कि अपने लाइफस्टाइल से जुड़ी कुछ गैर-जरूरी खर्च कम कर सकते हैं। इन तरीके में ये चीजें शामिल हो सकती है- मूवीज देखने के अपने खर्चों में आप कमी कर सक ते हैं। आप इन मूवीज को उस समय भी देख सकते हैं, जब इसके टिकट का मूल्य अपेक्षाकृत कम होता हो यानी ऑफ दिनों में सस्ती कीमतों पर टिकट खरीद कर आप इन मूवीज का मजा उठा सकते हैं। लोगों को आजकल बाहर खाने की आदत हो गई है।
वैसे बाहर खाना अपेक्षाकृत खर्चीला होता है। आजकल ज्यादातर प्रोफेशनल बाहर ही लंच करते हैं या खाना खाते हैं, जिससे उनकी मासिक खर्च का एक बडा हिस्सा जाया हो जाता है। इसकी आवृति में कमी करना भी बचत करने का एक बेहतर आइडिया हो सकता है। आजकल लोगों में पार्टी देने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। अगर इन पार्टियों को घर पर ही आयोजित किया जाए, तो खर्च में कमी आ सकती है। बिजली बिल भी एक ऐसा खर्च है, जहां कटौती की जा सकती है। अगर आप अपने घर में एसी चलाते हैं, तो आपको चाहिए कि इसे कुछ जरूरी घंटों में ही इस्तेमाल करें।
इसी प्रकार अगर घरों में लाइट्स और बिजली से चलने वाले अन्य उपकरणों का जब इस्तेमाल न हो रहा हो, तो उसे स्विच ऑफ कर दे। जाने आने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं या कार पूल भी कर सकते हैं। ऐसा करना भी एक सस्ता विकल्प हो सकता है। बड़े मॉल में आप महीने में एक या दो बार ही जाएं और अपने ग्रॉसरी आइटमों को स्टोर कर लें। इससे न केवल आगे बढ़ने वाली चीजों की कीमतों से आप अप्रभावित रहेंगे बल्कि आपका जाने-आने का खर्च भी बच जाएगा।
स्मार्ट खर्च करने का यह कभी मतलब नहीं होता कि आप कंजूसी करे। इसके तहत इस बात का ध्यान रखना होता है कि किन खर्चों को प्राथमिकता दी जाए और किन खर्चों को टाला जाए। घर से बाहर बार-बार खाने या छोटी छुट्टियों पर बाहर जाने से ज्यादा जरूरी है कि बच्चों की फीस भरी जाए। ऐसे लोग जो अपने मोबाइल खर्च में कमी नहीं कर सकते, उन्हें चाहिए कि वे प्री-पेड कार्ड का इस्तेमाल करें। इससे भी ज्यादा जरूरी है कि आप अपने क्रेडिट कार्ड और बैंक अकाउंट की स्टेटमेंट का मासिक निरीक्षण करते रहें। इससे आपको पता चलता रहेगा कि किन खर्चों में कटौती की जा सकती है।