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लोक सभा चुनाव 2024: डगर-डगर पर मन बदल रहे वोटर

बिज़नेस स्टैंडर्ड के संवाददाता चुनावी नब्ज टटोलने के लिए ट्रेन के जरिये देश भर की यात्रा पर निकल पड़े और करीब नौ दिनों के 200 घंटों के सफर में 10,788 किलोमीटर की दूरी तय की।

Last Updated- April 18, 2024 | 10:53 PM IST
FESTIVAL OF DEMOCRACY: TRACKING VOTER PULSE, ONE STATION AT A TIME लोक सभा चुनाव 2024: डगर-डगर पर मन बदल रहे वोटर

ऐसे देश में जहां ट्रेन में सफर के दौरान लोग राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा में खूब दिलचस्पी लेते हैं, बिज़नेस स्टैंडर्ड के संवाददाता देश की चुनावी नब्ज टटोलने के लिए ट्रेन के जरिये देश भर की यात्रा पर निकल पड़े। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के कटरा से चेन्नई, डिब्रूगढ़ से कन्याकुमारी, गुवाहाटी से दिल्ली और देहरादून से मुंबई तक विभिन्न मार्गों पर यात्रा की और करीब नौ दिनों के 200 घंटों के सफर में 10,788 किलोमीटर की दूरी तय की। सफर के दौरान ट्रेन के हरेक डिब्बे में लोकतंत्र का लघु रूप दिखा जहां सभी वर्गों के यात्रियों के विचार और उनकी आवाजें गूंज रही थीं। डिब्रूगढ़-कन्याकुमारी विवेक एक्सप्रेस में राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने वाले उत्तर पूर्व और दक्षिण भारत में अलग-अलग विचारों पर बहस छिड़ी हुई थी। डिब्रूगढ़-कन्याकुमारी एक्सप्रेस में सवारी करते हुए उत्तर से दक्षिण भारत तक के राजनीतिक माहौल का जायजा ले रहे हैं नितिन कुमार

‘इस देश की हालत इस ट्रेन की जैसी ही है- लाचार’, यह बात कार्तिक सेल्वम ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के समय देश की स्थिति पर गरमागरम चर्चा के दौरान कही।

उर्वरक कारखाने में काम करने वाले 35 वर्षीय युवक ने डिब्रूगढ़-कन्याकुमारी विवेक एक्सप्रेस में सवारी के दौरान कहा, ‘उन्होंने भारत को 2047 तक विकसित देश बनाने का वादा किया है, लेकिन देश की सबसे लंबी ट्रेन यात्रा करने से पता चलता है कि उनके वादे कितने खोखले हैं।’ यह ट्रेन आठ राज्यों में 57 स्टॉपों से गुजरते हुए 74 घंटे में 4,189 किलोमीटर का सफर तय करती है जो भारत का सबसे लंबा रेल मार्ग है।

सेल्वम ने नाराजगी जताते हुए कहा, ‘शौचालय में गंदगी है। एसी द्वितीय श्रेणी में भी हर दो मिनट में फेरीवाले घुस आते हैं और ट्रेन कभी भी सही वक्त पर नहीं चलती है। लोग कहते हैं कि इस ट्रेन में सफर करना जीवन का एक अनुभव है। वे बिल्कुल सही कहते हैं, क्योंकि कोई भी इसमें दोबारा सफर करने की सोच भी नहीं सकता।’

हालांकि उनके साथ सफर करने वाले कई अन्य यात्री इससे सहमत नहीं हैं। मगर उन्होंने भी माना कि अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उनका कहना है कि केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही इसे पूरा कर सकते हैं।

असम के एक अन्य यात्री हीरेन बड़बरुआ ने पूछा, ‘इसे दूसरा कौन कर सकता है?’ सेल्वम ने कहा, ‘स्टालिन अन्ना (तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन)।’ उन्होंने समझदारी से सिर हिलाते हुए कहा, ‘दक्षिण भारत का कोई प्रधानमंत्री दिखा सकता है कि विकास कैसा होता है। दक्षिण के लोग भाजपा को वोट नहीं देते क्योंकि वे जुमले और असल काम के बीच का अंतर को समझते हैं।’

चाय उद्योग में काम करने वाले 40 वर्षीय तपन डेका मोदी की नीतियों की खूब प्रशंसा करते हैं। अपने परिवार से मिलने के लिए गुवाहाटी जा रहे डेका ने कहा, ‘आज लोगों को मुफ्त राशन, मुफ्त दवा और आसान ऋण मिल रहा है। सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से न केवल पुरुष, बल्कि महिलाएं भी लाभान्वित हो रही हैं।’

उन्होंने कहा, ‘पूर्वोत्तर में सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का विकास भी भाजपा को सीटें दिलाने में मदद करेगा।’विवेक एक्सप्रेस में सवार असम के अ​धिकतर यात्रियों का मानना ​​है कि बुनियादी ढांचे में सुधार होने से भाजपा को तीसरी बार सत्ता में आने में मदद मिलेगी। मगर उन्होंने बेरोजगारी और अ​धिक महंगाई के बारे में भी चिंता जताई।

एक निजी कोचिंग सेंटर में दाखिला लेने के लिए न्यू तिनसुकिया से गुवाहाटी जा रहे 22 वर्षीय स्नातक प्रियम बोरा ने कहा, ‘उन्होंने (सरकार ने) नई सड़कें बनवाई है, लेकिन मेरे पास कार नहीं है और वह मेरे किस काम की हैं? सबसे पहले मुझे नौकरी चाहिए। उसके बाद ही यह बुनियादी ढांचा मेरे किसी काम का होगा।’

जैसे ही ट्रेन 24 घंटे से अ​धिक समय में 874 किलोमीटर का सफर तय करते हुए पश्चिम बंगाल में पहुंची, भगवा पार्टी के लिए उत्साह कम होने लगा और ‘वोट दीदी के जाछे’ यानी वोट दीदी अथवा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ही मिलेगा, के नारे लगने लगे। असम और प​श्चिम बंगाल में भाजपा का चुनाव अभियान नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) पर केंद्रित है, लेकिन ट्रेन में मतदाताओं के बीच यह मुद्दा शायद ही गूंजता दिखा।

न्यू कूच बिहार से ट्रेन में सवार हुए शिक्षक देबराज घोष ने कहा, ‘भाजपा का धार्मिक ध्रुवीकरण ममता को जीत दिलाने में मदद कर रहा है। मुसलमान उन्हें वोट नहीं देना चाहते और इसलिए वे ममता को वोट दे रहे हैं।’

वेलूर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) जाने के लिए सफर कर रहे सरकारी निर्माण ठेकेदार सद्दीक खान ने भी इससे सहमति जताई। गैंगरीन का इलाज कराने के लिए सीएमसी बेलूर जा रहे खान कांग्रेस को वोट देने की सोच रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘मुसलमान कांग्रेस को वोट देना चाहते हैं, लेकिन पार्टी सभी सीटों पर चुनाव नहीं लड़ रही है। इस बार ईश खान चौधरी दक्षिण मालदा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। वह अवश्य जीतेंगे। कांग्रेस जिन सीटों पर चुनाव नहीं लड़ रही है, वहां मुसलमान दीदी को वोट देंगे। इसके अलावा बंगाल में चुनाव काफी हद तक बाहुबल पर निर्भर करता है जो दीदी के पास अब भी मौजूद है।’

उन्होंने कहा, ‘ममता ने राज्य को बरबाद कर दिया है। हमारे पास न तो कोई अच्छा सरकारी अस्पताल है और न ही कोई सार्वजनिक बुनियादी ढांचा ही है। बंगाल को ऐसे लोग चला रहे हैं जिन्होंने मुझसे लाखों रुपये ले लिए लेकिन मेरा इलाज नहीं कर पाए। जबकि सीएमसी में दवाओं पर मैंने 500 रुपये से भी कम खर्च किया है।’

हालांकि सभी लोग ऐसा नहीं मानते हैं कि ममता ने पश्चिम बंगाल के लिए पर्याप्त काम नहीं किया है। कुछ लोगों का कहना है कि इस ट्रेन को भी उन्होंने ही 2011 में शुरू किया था जब वह रेल मंत्री थीं। विवेक एक्सप्रेस को स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती के अवसर पर शुरू किया गया था।

तिरुवनंतपुरम जाने के लिए सफर कर रहे प्रवासी श्रमिक प्रभजीत ने कहा, ‘दीदी ने ही गरीब प्रवासियों की दुर्दशा पर ध्यान दिया और इस ट्रेन की शुरुआत की। मगर अब भाजपा के विरोध के कारण दीदी अपना काम सही तरीके से जारी नहीं रख पा रही हैं।’

यह ट्रेन जिन आठ राज्यों से होकर गुजरती है उनमें असम, नगालैंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु की कुल 162 लोकसभा सीटें हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत में अपना वर्चस्व कायम किया था। उसने असम में 14 में से 7 सीटें जीती थी।

बिहार में उसने अपने गठबंधन सहयोगी के साथ मिलकर 40 में से 39 सीट जीती थी। जबकि प​श्चिम बंगाल में 42 में से 18 और ओडिशा में 21 में से 8 सीट अपनी झोली में डाल ली थी। नगालैंड की एकमात्र सीट भी भाजपा के गठबंधन सहयोगी ने ही जीती थी।

ट्रेन के दक्षिणी राज्यों की ओर बढ़ने के साथ ही यात्रियों का भाजपा के प्रति आकर्षण कम होता दिख रहा था। भगवा पार्टी ने 2019 के चुनावों में आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में एक भी लोकसभा सीट नहीं जीती थी। यह पूछे जाने पर कि क्या देश का प्रधानमंत्री तमिलनाडु जैसे दक्षिणी राज्य से आना चाहिए, खान ने कहा, ‘क्यों नहीं? तब हमें हर जगह विश्वस्तरीय सुविधाएं मिलेंगी।’

तीसरे दिन से ही ट्रेन में दक्षिण भारत से आने वाले यात्रियों की भीड़ उमड़ पड़ी और अधिकतर लोग पूरी तरह आश्वस्त दिखे कि मोदी इस बार भी दक्षिण में कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ पाएंगे।

कोयंबत्तूर से त्रिशूर की यात्रा कर रहे केरल के कारोबारी समीर नांबियार ने कहा, ‘अगर उन्हें उत्तर में जीतने का भरोसा है, तो मुझे पूरा भरोसा है कि वे दक्षिण के पांच राज्यों की 129 में से बमुश्किल 29 सीट जीत पाएंगे।’

नांबियार ने कहा, ‘वे कहते हैं कि मोदी दुनिया भर में लोकप्रिय हैं। मगर मैं कहता हूं कि यह चुनाव साबित कर देगा कि वह भारत में भी लोकप्रिय नहीं हैं।’

First Published - April 18, 2024 | 10:53 PM IST

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