सरकार बनाने की कवायद के साथ ही मंत्रिपरिषद में हिस्सेदारी और सहयोगी दलों की मांगों को लेकर विचार मंथन का दौर भी शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने पास वित्त, गृह, रक्षा और विदेश मंत्रालय रखने की इच्छुक है। गठबंधन के सहयोगी दलों तेलुगू देशम पार्टी और जनता दल यूनाइटेड मंत्रिपरिषद में तीन से चार मंत्री पद पर बातचीत कर रहे हैं। इसके साथ ही दोनों दल आंध्र प्रदेश और बिहार कोविशेष राज्य का दर्जा देने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
जदयू के एक सांसद ने कहा कि उम्मीद है कि मंत्रिपरिषद में उनकी पार्टी को सम्मानजनक दर्जा मिलेगा और इसमें अगले साल होने वाले बिहार विधान सभा चुनावों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
जदयू और एक अन्य सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल ने सुझाव दिया है कि राजग को एक संचालन समिति या समन्वय समिति बनानी चाहिए और उसका संयोजक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बनाना चाहिए। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं।
पासवान और जदयू के केसी त्यागी ने कहा कि नई सरकार को अग्निवीर योजना की समीक्षा करनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देश भर में जातीय जनगणना कराना चाहिए।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने कहा कि कल्याण से सांसद उनके बेटे केंद्र में मंत्री नहीं बनेंगे और पार्टी वरिष्ठ सांसद को मंत्री बनाने की सिफारिश करेगी।
राजग में 16 सांसदों के साथ दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी तेलुगू देशम है, वहीं जदयू के 12 सांसद हैं। तेलुगू देशम की सहयोगी जनसेना पार्टी के पवन कल्याण को भी मंत्री पद मिल सकता है। उनकी पार्टी के दो सांसद हैं।