Lok Sabha Election 2024: अमेठी के ग्रामीण इलाकों में खेतों में नीलगाय और अन्य आवारा पशु बड़े आराम से चरते हुए दिखाई दे जाएंगे। महानगरों से जाने वाले लोगों को हरे-भरे खेतों में बेफिक्र विचरते और फसलों को खाते पशुओं के दृश्य खूबसूरत लग सकते हैं, परंतु स्थानीय किसानों के लिए ये बहुत बड़ा सिरदर्द हैं। अमेठी में पांचवें चरण में 20 मई को चुनाव होना है। यहां आवारा या छुट्टा पशुओं का विचरण किसानों की सबसे बड़ी समस्या है, जिससे वे छुटकारा पाना चाहते हैं।
‘दिन भर हमार आदमी दिहाड़ी करत है और रात मा टॉर्च लेकर खेत की निगरानी।’ कोरारी लच्छन शाह गांव की सीता देवी अपने पति के बारे में दुख व्यक्त करते हुए कहती हैं, जो दिनभर खेतों में काम करते हैं और आवारा पशुओं से फसल को बचाने के लिए रात भर पहरा देते हैं।
पिछले एक दशक में आवारा पशुओं के चलते किसानों ने दलहन और मटर जैसी फसलें उगाना बंद कर दिया है। इन फसलों को नीलगाय और अन्य छुट्टा पशु एकदम चट कर जाते हैं। अधिकांश किसानों की शिकायत है कि स्थानीय गोशालाओं में सुविधाओं की बहुत कमी हैं। न तो चारा उगाने के लिए उनके पास पर्याप्त जमीन है और न ही इतना पैसा कि वे चारा मोल खरीद सकें।
अमेठी निर्वाचन क्षेत्र में लगभग आधी संख्या महिला मतदाताओं की है। उनके लिए सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा आवारा पशु और लगातार बढ़ती महंगाई है। पुरुषों की सबसे बड़ी शिकायत बेरोजगारी को लेकर है। कोरारी लच्छन शाह गांव में रहने वाले सेवानिवृत्त शिक्षक शिव शरण सिंह कहते हैं, ‘यहां किसी प्रकार की नौकरियां पैदा नहीं की गईं। नतीजतन हमारे युवा उद्देश्यहीन इधर-उधर भटक रहे हैं।’
कोरारी लच्छन शाह गांव में कांग्रेस उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा का दौरा होना है। लोग उसकी तैयारियों में व्यस्त हैं। कुछ दिन पहले केंद्रीय मंत्री और भाजपा प्रत्याशी स्मृति इरानी भी यहां आई थीं। उसी जगह पर शर्मा सभा को संबोधित करेंगे।
वर्षों से अमेठी कांग्रेस का गढ़ रहा है, लेकिन 2019 के चुनाव में भाजपा की स्मृति इरानी ने राहुल गांधी को 53,000 से अधिक मतों से हराकर यह गढ़ छीन लिया। यहां हमने मतदाताओं का मन टोटलने की कोशिश की और पूछा कि इस सीट पर हवा का रुख क्या है, तो इस पर अमेठी के गौरीगंज के पास किराने की दुकान चलाने वाले पवन कुमार जायसवाल कहते हैं, ‘लड़ाई जबरदस्त है। यदि राहुल गांधी यहां से चुनाव लड़ते तो और भी कांटे की टक्कर होती।’ जायसवाल ने धीरे से बुदबुदाते हुए कहा कि राहुल गांधी को यहां से चुनाव लड़ना चाहिए था। अमेठी में ज्यादातर लोग इसी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। हालांकि लोग किशोरी लाल शर्मा को राहुल गांधी का दूत ही मान रहे हैं।
जब किशोरी लाल यहां पहुंचे तो उन्होंने भी स्पष्ट कहा, ‘मुझे किसी तरह का भ्रम नहीं है। यह सच है कि गांधी परिवार हमारी ताकत है।’ शर्मा यहां लगभग 40 साल से जमीन पर काम कर रहे हैं। उन्हें अमेठी में राजनीति का दशकों लंबा अनुभव है।
यहां नुक्कड़ सभा में लगभग डेढ़ सौ लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए शर्मा उन पुराने दिनों को याद करते हैं जब वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते थे। वह कहते हैं, ‘पुराने जमाने में बड़े नेताओं का बहुत सम्मान था, चाहे वे विपक्षी दल से ही क्यों न ताल्लुक रखते हों। आज ऐसा नहीं है। राजनीति की मूल भावना खत्म होती जा रही है।’
इतिहास गवाह है कि किसी भी गैर कांग्रेसी नेता ने अमेठी में दोबारा जीत दर्ज नहीं की है। यही बात यहां के अनेक कार्यकर्ता दोहराते हुए कहते हैं कि शर्मा यहां से बहुत बड़े अंतर से जीतेंगे। लेकिन परसौली गांव के दूध विक्रेता अमरजीत यादव को पूरी उम्मीद है कि स्मृति यहां से फिर जीतेंगीं।
यादव के दोस्त उन्हें कांग्रेसी बताते हैं, लेकिन उन्हें नजरअंदाज करते हुए वह कहते हैं, ‘किशोरी लाल के कंधे पर जरूर राहुल गांधी का हाथ है, लेकिन स्मृति इरानी को तो सीधे केंद्र सरकार का साथ मिला हुआ है। यह कोई छोटी बात नहीं है।’
यादव उन दिनों को याद करते हैं जब अमेठी के पूर्व राजा संजय सिंह राहुल गांधी को बिमल पैलेस सिनेमा में बिना टिकट फिल्म दिखाने ले जाया करते थे। लेकिन एक बार वहां के कर्मचारियों ने उन्हें पहचान लिया तो उन्हें अच्छी-खासी टिप देनी पड़ी।