facebookmetapixel
हाई स्ट्रीट में मॉल से भी तेज बढ़ा किराया, दुकानदार प्रीमियम लोकेशन के लिए दे रहे ज्यादा रकमत्योहारों में ऑनलाइन रिटर्न्स में तेजी, रिवर्स लॉजिस्टिक्स कंपनियों ने 25% से ज्यादा वृद्धि दर्ज कीबिहार विधानसभा चुनाव में धनकुबेर उम्मीदवारों की बाढ़, दूसरे चरण में 43% प्रत्याशी करोड़पतिबिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग मंगलवार को, नीतीश सरकार के कई मंत्रियों की किस्मत दांव परफूड कंपनियों की कमाई में क्विक कॉमर्स का बढ़ा योगदान, हर तिमाही 50-100% की ग्रोथRed Fort Blast: लाल किले के पास कार में विस्फोट, 8 लोगों की मौत; PM मोदी ने जताया दुखपेरिस की आईटी कंपनी कैपजेमिनाई भारत में करेगी 58,000 भर्तियां, 3.3 अरब डॉलर में WNS का अधिग्रहण कियासड़क हादसे में मौतें 30 वर्ष में सबसे ज्यादा, प्रति 1 लाख की आबादी पर 12.5 मौतें हुईंछोटी कारों को छूट पर नहीं बनी सहमति, SIAM ने BEE को कैफे-3 और कैफे-4 मसौदे पर अंतिम टिप्पणियां सौंपीJK Tyre का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में निर्यात हिस्सेदारी को 20% तक पहुंचाने का, यूरोपीय बाजारों पर फोकस

WPI: मार्च में थोक महंगाई बढ़कर 0.53 प्रतिशत पर, आलू, प्याज की बढ़ी ज्यादा कीमतें

मार्च महीने में फैक्टरी से निकलने वाले माल की महंगाई दर में तेजी मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं, बिजली, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस सहित अन्य की कीमत में बढ़ोतरी के कारण आई।

Last Updated- April 15, 2024 | 10:46 PM IST
WPI Inflation

मार्च महीने में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर मामूली बढ़कर 3 महीने के उच्च स्तर 0.53 प्रतिशत पर पहुंच गई है। यह फरवरी में 0.2 प्रतिशत थी। इस तरह से मुद्रास्फीति लगातार 5 महीने से धनात्मक क्षेत्र में बनी हुई है। इसके पहले वित्त वर्ष 2024 के ज्यादातर महीनों में अवस्फीति की स्थिति थी।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक मार्च महीने में फैक्टरी से निकलने वाले माल की महंगाई दर में तेजी मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं, बिजली, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस सहित अन्य की कीमत में बढ़ोतरी के कारण आई है।

कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2024 में थोक मुद्रास्फीति -0.7 प्रतिशत रही है, जो वित्त वर्ष 2023 में 9.6 प्रतिशत थी। इसमें खाद्य महंगाई 3.2 प्रतिशत रही, जो पहले के वित्त वर्ष के 6.4 प्रतिशत से कम है। वहीं ईंधन (-4.4 प्रतिशत) और विनिर्मित उत्पादों (-1.7 प्रतिशत) की कीमत वित्त वर्ष 2024 के दौरान संकुचित हुई, जो पिछले साल क्रमशः 29.4 प्रतिशत और 5.7 प्रतिशत थी।

खाद्य वस्तुओं की थोक कीमत में तेजी मुख्य रूप से प्याज (56.9 प्रतिशत), आलू (52.9 प्रतिशत) की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण आई है। साथ ही धान (11.7 प्रतिशत), मोटे अनाज (9.04 प्रतिशत) और गेहूं (7.43 प्रतिशत) की कीमत में वृद्धि का भी असर पड़ा। वहीं दालों (17.2 प्रतिशत), सब्जियों (19.52 प्रतिशत) और दूध (4.73 प्रतिशत) की कीमत में इस माह के दौरान कमी आई है।

हालांकि फलों (-2.95 प्रतिशत) और प्रोटीन वाली खाद्य सामग्रियों जैसे अंडे, मांस व मछली (-1.86 प्रतिशत) ने कुछ राहत दी है और माह के दौरान इसकी कीमत में पिछले माह की तुलना में कमी आई है।

सूचकांक में 64.2 प्रतिशत अधिभार वाली विनिर्मित वस्तुओं के दाम में लगातार तेरहवें महीने मार्च में भी अवस्फीति (-0.85 प्रतिशत) बनी रही। इसमें टेक्सटाइल (-1.68 प्रतिशत), कागज (-5.71 प्रतिशत), रसायन (-4.64 प्रतिशत), धातुओं (-5.34 प्रतिशत) और फर्बिश्ड स्टील (-7.22 प्रतिशत) व अन्य की कीमतों में गिरावट ने अहम भूमिका निभाई।

ईंधन की कीमत में संकुचन (-0.77 प्रतिशत) लगातार 11वें महीने जारी रही। इसमें हाई स्पीड डीजल (-3.51 प्रतिशत), रसोई गैस (-10.19 प्रतिशत) और पेट्रोल (-0.94 प्रतिशत) ने इस माह के दौरान अहम भूमिका निभाई है। केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि थोक खाद्य महंगाई में तेजी और अनुकूल आधार का असर कम होने के कारण यहअनुमान है कि आने वाले महीनों में थोक मुद्रास्फीति बढ़ेगी।

उन्होंने कहा, ‘जिंसों के वैश्विक दाम में हाल में हुई बढ़ोतरी, खासकर ब्रेंट क्रूड की उच्च कीमतों के कारण औद्योगिक धातुओं की कीमत बढ़ी है। इससे डब्ल्यूपीआई पर ऊपर जाने का दबाव बढ़ेगा। बहरहाल सामान्य मॉनसून और अल नीनो का असर खत्म होने, रबी की फसल की बोआई बेहतर होने के कारण कृषि उत्पादन का सकारात्मक परिदृश्य है, जिससे खाद्य महंगाई कम होगी।

First Published - April 15, 2024 | 10:46 PM IST

संबंधित पोस्ट