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Windfall Tax: कच्चे तेल के उत्पादन पर अप्रत्याशित लाभ कर शून्य, डीजल निर्यात पर भी शुल्क घटा

Last Updated- April 04, 2023 | 9:40 PM IST
crude oil

सरकार ने देश में उत्पादित कच्चे तेल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क 3,500 रुपये प्रति टन से घटाकर शून्य कर दिया है, जिसे आमतौर पर अप्रत्याशित लाभ कर (Windfall Tax) के नाम से जाना जाता है। मंगलवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक यह 4 अप्रैल से प्रभावी होगा। साथ ही डीजल निर्यात पर शुल्क आधा कर 50 पैसे प्रति लीटर कर दिया गया है, जो पहले 1 रुपये था।

इसका मतलब यह है कि डीजल को छोड़कर कच्चे तेल, विमान ईंधन (ATF) और पेट्रोल पर अब कोई अप्रत्याशित लाभ कर नहीं लगेगा।

उम्मीद है कि सरकार के इस कदम से ईंधन के शीर्ष निर्यातकों रिलायंस इंडस्ट्रीज और तेल निर्यातकों जैसे तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) को लाभ होगा।

एक सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों की व्यापक समीक्षा के बाद यह फैसला किया गया है।

उन्होंने कहा कि पहले के दो सप्ताह के दौरान तेल की औसत कीमतों को देखते हुए हर पखवाड़े कर की दरों की समीक्षा की जाती है।

अप्रत्याशित लाभ कर सरकार द्वारा किसी कंपनी या उद्योग पर लगाया जाने वाला विशेष कर है। अगर किसी कंपनी या उद्योग को किसी वजह से लाभ होता है, लेकिन यह वित्तीय लाभ की वजहों से नहीं होता है तो उसे अप्रत्याशित लाभ कहा जाता है।

इस फैसले की प्रशंसा करते हुए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि इससे कच्चे तेल के ज्यादा घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा, जिस पर सरकार का मुख्य रूप से ध्यान है।

अधिकारी ने जोर दिया कि पिछले कुछ महीने के दौरान वैश्विक कीमतों में बदलाव के हिसाब से स्थानीय रूप से उत्पादित कच्चे तेल पर शुल्क धीरे धीरे कम किया गया है।

उन्होंने कहा कि इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड जैसी सरकारी कंपनियों ने केंद्र को सूचना दी कि वैश्विक कीमत कम होने की वजह से उनका मुनाफा कम हुआ है, उसके बाद यह फैसला किया गया है।

भारत का लक्ष्य 2030 तक कच्चे तेल एवं प्राकतिक गैस अन्वेषण क्षेत्र के तहत 10 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को लाना है, जिससे हाइड्रोकार्बन की बढ़ती घरेलू मांग पूरी की जा सके। कच्चे तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए कई नीतिगत बदलाव किए गए हैं।

उल्लेखनीय है कि पिछली समीक्षा में घरेलू कच्चे तेल पर शुल्क 4,400 रुपये प्रति टन से घटाकर 3,500 रुपये प्रति टन कर दिया गया था।

बहरहाल अधिकारी ने संकेत दिया कि अगर वैश्विक कीमतें अगले कुछ सप्ताह तक बढ़ी हुई रहती हैं तो फिर से शुल्क लगाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि पिछले साल 2 अलग मौकों पर विमान ईंधन पर शुल्क घटाकर शून्य कर दिया गया था, लेकिन बाद में उसे फिर बढ़ाया गया।

ओपेक प्लस देशों द्वारा अचानक उत्पादन में कटौती किए जाने की घोषणा के बाद सोमवार को ब्रेंट क्रूड की कीमत बढ़कर 84 डॉलर प्रति बैरल हो गई। रिपोर्ट लिखे जाने तक मंगलवार को कीमत बढ़कर 85.5 डॉलर पर पहुंच गई थी।

भारत ने सबसे पहले जुलाई 2022 में अप्रत्याशित लाभ कर लगाया था और उन देशों में शामिल हो गया था, जिन्होंने ऊर्जा कंपनियों को हो रहे असामान्य मुनाफे पर कर लगाया था।

इसने पेट्रोल, डीजल और विमान ईंधन के निर्यात और कच्चे तेल के घरेलू उत्पादन पर अप्रत्याशित लाभ कर लगा दिया था। साथ ही निर्यातकों के लिए यह भी अनिवार्य किया गया था कि वह घरेलू बाजार की जरूरतें पहले पूरी करें।

सरकार के कदम को देखते हुए भारत की तेल कंपनियों ने पेट्रोल और विमान ईंधन के निर्यात पर 6 रुपये लीटर (करीब 12.2 डॉलर प्रति बैरल) और डीजल के निर्यात पर 13 रुपये लीटर (26.3 डॉलर प्रति बैरल) भुगतान करना शुरू कर दिया था।

वहीं उत्पादकों को भारत में कच्चे तेल के उत्पादन पर 23250 रुपये प्रति टन (करीब 38.2 डॉलर प्रति बैरल) कर भुगतान करना होता था।

बहरहाल पेट्रोल के निर्यात पर कर शुरुआती समीक्षा में ही घटा दिया गया और पिछली समीक्षा में एटीएफ पर शुल्क खत्म कर दिया गया।

डेलॉयट इंडिया में पार्टनर सुमित सिंघानिया ने कहा, ‘अप्रत्याशित लाभ कर वापस लिए जाने और डीजल पर इसे घटाए जाने का फैसला निश्चित रूप से तेल उत्पादन कंपनियों के लिए खुश होने वाली बात है।’

First Published - April 4, 2023 | 9:40 PM IST

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