भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज कहा कि केंद्रीय बैंक अगले 2 साल में महंगाई दर को 4 प्रतिशत के मध्यावधि लक्ष्य तक नीचे लाने का उद्देश्य लेकर चल रहा है और नीतिगत दर पर आगे की कार्रवाई विभिन्न आंकड़ों पर निर्भर करेगी।
टेलीविजन चैनल ईटी नाऊ को दिए गए साक्षात्कार में दास ने कहा, ‘हम 2 साल में महंगाई दर तय लक्ष्य के भीतर तक लाना चाहेंगे। कुल मिलाकर मेरा मानना है कि हम धीरे धीरे 4 प्रतिशत के लक्ष्य की तरफ बढ़ रहे हैं और वृद्धि को बहुत ज्यादा प्रभावित किए बगैर ऐसा किया जा रहा है।’
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर, जिसकी मौद्रिक नीति में अहम भूमिका होती है, जुलाई में 6.71 प्रतिशत थी। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सीपीआई महंगाई दर 4 प्रतिशत रखना अनिवार्य किया है, जिसमें 2 प्रतिशत की घट-बढ़ हो सकती है।
4 मई से अबतक एमपीसी ने नीतिगत रीपो रेट में कुल 140 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है, जो इस समय 5.40 प्रतिशत है।
बुधवार को शक्तिकांत दास ने कहा था कि रिजर्व बैंक के आकलन के मुताबिक मौजूदा समय में महंगाई शीर्ष पर है और उम्मीद जताई थी कि आगे चलकर इसमें कमी आएगी और इससे आमलोगों को राहत मिलेगी।
एमपीसी की 3 से 5 अगस्त तक चली बैठक के बारे में हाल में जारी ब्योरे में बाहरी सदस्य आशिमा गोयल और जयंत वर्मा ने कहा है कि दरें तय करने वाली समिति की भविष्य की कार्रवाई आने वाले आंकड़ों पर निर्भर होगी।
बहरहाल मंगलवार का दास का साक्षात्कार इस मामले में अहम है कि कई महीनों में पहली बार उन्होंने खुद कहा है कि भविष्य में ब्याज दरों की चाल आंकड़ों से संचालित होगी।
दास ने कहा, ‘आगे के दिशानिर्देश देने में मैं सक्षम नहीं हूं। मई में हमने दरों में 40 आधार अंक की बढ़ोतरी की, उसके बाद 50 बीपीएस और फिर 50 आधार अंक। तीन किस्तों में हमने यह किया है।’
उन्होंने कहा, ‘आगे आने वाले आंकड़े और स्थितियां तय करेंगी, जैसा कि मैंने कहा, महंगाई दर में वृद्धि के आंकड़े किस तरह के होते हैं, इस पर हमारी भविष्य की कार्रवाई निर्भर है।’
चालू खाते का घाटा
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि भारत का चालू खाते का घाटा प्रबंधन के स्तर के भीतर रहेगा और इसका वित्तपोषण तार्किक रूप से आरामदायक तरीके से हो जाएगा। अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि भारत का चालू खाते का घाटा जीडीपी के करीब 3 प्रतिशत तक बढ़ेगा, जो इसके पहले के वित्त वर्ष में जीडीपी का 1.2 प्रतिशत था।
दास ने कहा कि कच्चे तेल के दाम में हार की गिरावट अहम है, जिससे चालू खाते के घाटे पर काबू पाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘लेकिन कच्चे तेल को लेकर तमाम अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ कह रहे हैं कि कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के नीचे रहेगी। दो महीने पहले कोई ऐसा नहीं सोच रहा था।’
बैंक, फिनटेक
जमा और कर्ज दिए जाने के अंतर बढ़ने को लेकर दास ने कहा, ‘अगर बैंक दिए जाने वाले कर्ज में 13 से 15 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य हासिल कर लेते हैं तो उन्हें जमा दरें बढ़ाकर संसाधन बढ़ाने होंगे। और अब ऐसा होना शुरू हो गया है।’ हाल के रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 29 जुलाई तक अर्थव्यवस्था में ऋण की वृद्धि 14.5 प्रतिशत थी। बहरहाल जमा में वृद्धि इस अवधि के दौरान 9.1 प्रतिशत थी।
फिनटेक क्षेत्र की निगरानी बढ़ाए जाने के मसले पर दास ने कहा, ‘हम फिनटेक में नवोन्मेष के समर्थक हैं, लेकिन ठीक इसी समय हम मूल्यांकन कर रहे हैं कि किस तरह का जोखिम खड़ा हो रहा है और क्या इसका समाधान हो रहा है या नहीं।’
