जुलाई में थोक महंगाई दर में लगातार दूसरे महीने कमी आई है। जून के 12.07 प्रतिशत की तुलना में यह जुलाई में घटकर 11.16 प्रतिशत रह गई है। हालांकि विनिर्मित वस्तुओं और कच्चे तेल के दाम में तेजी बनी हुई है। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर तीन महीने के निचले स्तर पर है, लेकिन यह इस वित्त वर्ष में अब तक दो अंकों में बनी हुई है। यह मुख्य रूप से कम आधार के कारण है, क्योंकि जुलाई, 2020 में 0.25 प्रतिशत की अवस्फीति देखी गई थी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस महीने के दौरान उच्च महंगाई दर मुख्य रूप से कच्चे तेल, विनिर्मित वस्तुओं जैसे मूल धातुएं, खाद्य उत्पाद, कपड़ा, रसायन और रासायनिक उत्पादों की वजह से है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में महंगी हैं।
खाद्य वस्तुओं के मूल्य में बढ़ोतरी लगातार तीसरे महीने कम हुई है। जुलाई में यह शून्य प्रतिशत रही, जो जून में 3.09 प्रतिशत थी। बहरहाल प्याज के दाम बढ़े हैं और जुलाई में इसमें 72.01 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि जून में 64.32 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि थोक महंगाई लगातार दूसरे महीने कम हुई है, जो मुख्य रूप से आधार के असर के कारण है, साथ ही खाद्य वस्तुओं का दबाव कम हो रहा है और डेल्टा प्लस वैरियेंट के डर की वजह से जिंसों के दाम में तेजी पर लगाम है।
नायर ने कहा, ‘आधार के असर और सरकार की ओर से दलहन और तिलहन की आपूर्ति की दिशा में उठाए गए कदमों के कारण प्राथमिक खाद्य सूचकांक जुलाई, 2021 में एक साल पहले के स्तर पर बना रहा, जबकि इसके पहले के 5 महीनों में महंगाई बढ़ी थी।’
कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की महंगाई दर जुलाई में 40.28 प्रतिशत रही, जो जून में 36.34 प्रतिशत थी। विनिर्मित उत्पादों की, जिसका अधिभार सूचकांक में दो तिहाई होता है, महंगाई दर 11.20 प्रतिशत रही, जो इसके पहले के महीने में 10.88 प्रतिशत थी।
जनवरी से थोक महंगाई दर बढ़ी बनी हुई है और जुलाई लगातार चौथा महीना है, जब महंगाई दर दो अंकों में है। नायर ने कहा कि टमाटर के दाम में तेजी चिंता की बात है, जबकि अगस्त, 2021 में थोक खाद्य सूचकांक की महंगाई मामूली रही है।
पीएचडी चैंबर आफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कहा, ‘विनिर्मित वस्तुओं पर थोक महंगाई का बनता दबाव चिंता का विषय है, जो जून, 2021 में 10.9 प्रतिशत और जुलाई, 2021 मे 11.2 प्रतिशत रहा है। इसका असर उत्पादन लागत पर पड़ रहा और उत्पादकों के मूल्य-लागत के बीच का अंतर घट रहा है।’ अग्रवाल ने कहा कि कच्चे माल का दाम ज्यादा होने की वजह से महामारी के कठिन दौर में छोटे कारोबारियों के सामने गंभीर चुनौती बनी हुई है।