आर्थिक मंदी ने दो महीने पहले अपना कहर बरपाना शुरू किया और रायपुर के पास गांव में सुखीराम ने भी अपना मकान बनवाना दो महीने पहले ही शुरू किया।
मंदी शहरों में मकान बिकवा रही है और सुखीराम का मकान पूरी रफ्तार के साथ बन रहा है। मजे की बात है कि सुखीराम इसका श्रेय भी मंदी को ही दे रहे हैं।
मकान बनने का श्रेय मंदी को! दरअसल मंदी में निर्माण सामग्री के दाम घट गए हैं, जिसकी वजह से सुखीराम सामान आसानी से खरीद पा रहे हैं।
सामान इतना सस्ता हो गया है, जिसकी वह कुछ समय पहले कल्पना भी नहीं कर सकते थे।सुखीराम कहते हैं कि गांवों में मंदी का कोई असर नहीं पड़ा है।
यह समय उन किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है जो मंदी का फायदा उठा रहे हैं और सस्ती एवं किफायती दरों पर ऐसी सामग्रियों की खरीदारी कर रहे हैं।
मुंगेली के एक स्थानीय व्यापारी विनय लूनिया बताते हैं, ‘मौजूदा समय में आपको बाजार में इस्पात नजर नहीं आएगा, क्योंकि किसान भविष्य में निर्माण कार्य शुरू करने की योजना बना रहे हैं और उन्होंने पहले ही समान खरीदना शुरू कर दिया है।’ उन्होंने कहा कि मंदी के कारण किसानों की खरीद क्षमता में इजाफा हुआ है।
किसानों का मानना है कि उन्हें निकट भविष्य में इतनी सस्ती कीमत पर ये सामग्रियां नहीं मिलेंगी। लूनिया के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों में मंदी का कोई असर नहीं दिख रहा है।
वे बताते हैं, ‘ग्रामीण आबादी कृषि पर आधारित है और फसल इस साल काफी अच्छी रही है। यह मंदी उन लोगो के लिए वरदान साबित हो रही है जो सामान की खरीदारी में दिलचस्पी ले रहे हैं। असल में उनके पास पैसे की कमी नहीं है और मनचाही जगह पर वे अपने पैसे खर्च कर रहे हैं।’
रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली वस्तुएं (एफएमसीजी) बनाने वाली एक नामी कंपनी के स्थानीय स्टोर के मैनेजर महेश छाबड़िया ने कहा कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में मंदी का असर नहीं पड़ा है। उनके मुताबिक पिछले साल भर में उनके पास तकरीबन 35,000 नए ग्राहक आए।
इनमें से ज्यादातर ग्राहक ग्रामीण इलाकों के हैं। यही वजह है कि गांवों के बल पर उनके उत्पादों की बिक्री का आंकड़ा भी अच्छा खासा बढ़ा है। यह बात अलग है कि छत्तीसगढ़ में वाहनों का कारोबार कुछ मंद पड़ा है। लेकिन इसकी वजह मंदी नहीं है।
यहां से लगभग 110 किलोमीटर दूर कावर्धा शहर के व्यापारी अखिल जैन ने बताया, ‘किसान मंदी से प्रभावित नहीं हुए हैं और वे वाहन खरीदना चाहते हैं, लेकिन बैंक उन्हें ऋण देने से परहेज कर रहे हैं। इस वजह से यह क्षेत्र प्रभावित हुआ है।’
ज्यादातर किसान फसल पकने के बाद वाहन की खरीदारी पसंद करते हैं। जैन ने कहा, ‘वे नकदी मौजूद होने के बावजूद वाहन खरीदने के लिए ऋण लेना पसंद करते हैं। लेकिन कर्ज आसानी से मिल नहीं रहा, इसी वजह से वे वाहन नहीं खरीद पा रहे हैं।’
छत्तीसगढ़ में किसान वाहन या भवन निर्माण सामग्री खरीदने के लिए तैयार हैं। उन्होंने इस साल जमकर कमाई की है और अब वे खरीदारी कर वैश्विक मंदी का फायदा उठाना चाहते हैं। भाजपा द्वारा राज्य में सत्ता में आने से पहले धान पर 270 रुपये प्रति क्विंटल के बोनस की घोषणा की गई थी।