चिली, पेरू और मर्कोसुर ब्लॉक के साथ व्यापार वार्ता की तैयारी के दौरान भारत सावधानी बरत रहा है। भारत के अधिकारियों के अनुसार दक्षिण अमेरिका के क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव और संदिग्ध मार्केट पहुंच को लेकर भारत सजग है।
वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमें मजबूत सुरक्षा और बेहद सजग रहने की जरूरत है। भारत के साथ आसियान (दक्षिण पूर्व एशिया के राष्ट्रों की एसोसिएशन) या जो कुछ हद तक संयुक्त अरब अमीरात के साथ हुआ था, उसे दोहराना नहीं चाहता है।’
भारत की चिंता का कारण दक्षिण अमेरिका में चीन की बढ़ती उपस्थिति है। चीन इस क्षेत्र का शीर्ष व्यापार भागीदार और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का एक प्रमुख स्रोत है। भारत आसियान के साथ एक दशक से भी पुराने समझौते को लेकर चिंतित है। दरअसल चीन आसियान व्यापार ब्लॉक के समझौते की खामियों का इस्तेमाल कर भारत में सामान भेज रहा है। पेरू ने उदाहरण के तौर पर पिछली दौर की वार्ताओं के दौरान जिन उत्पादों का निर्माण नहीं करता था, उनके लिए शुल्क रियायतें और अधिक बाजार पहुंच की मांग की थी।
भारत के दक्षिण अमेरिका के देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते न केवल उसकी व्यापार साझेदारी की रणनीति का हिस्सा है बल्कि बढ़ते भूराजनीतिक केंद्रीकरण की चिंता के दौर में इस क्षेत्र से महत्त्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति को भी सुनिश्चित करना है।
इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्जेंटीना और ब्राजील का दौरा किया था और मार्केसुर ब्लॉक के साथ मौजूदा सीमित व्यापार व्यापार समझौते के विस्तार के लिए चर्चा की थी। भारत सरकार के अधिकारीगण इस ब्लॉक के अपने साझेदारों के साथ इस सप्ताह के अंत में बातचीत के लिए तैयार हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘हम यह समझना चाहते हैं कि वे (ब्लॉक) अधिक शुल्क जोड़ने या समग्र व्यापार समझौते के लिए क्या पीटीए (तरजीही व्यापार समझौते) का और विस्तार चाहते हैं। ‘
भारत ने ब्लॉक के साथ पूर्ण समझौते पर जोर दिया है। इससे महत्वपूर्ण खनिजों के लिए खनन अधिकारों और प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान को सक्षम किया जा सकेगा। दक्षिण अमेरिका व्यापार ब्लॉक में अर्जेंटीना, ब्राजील, उरुग्वे, पेराग्वे और बोलविया सदस्य देश हैं। यह यूरोपियन यूनियन (ईयू), नाफ्टा और आसियान के बाद चौथा सबसे बड़ा समन्वित मार्केट व्यापार ब्लॉक है।
भारत पेरू और चिली के साथ अगस्त में क्रमश: आठवें और दूसरे दौर की बातचीत करेगा। भारत ने चिली के साथ मई में समग्र आर्थिक साझेदारी समझौते के पहले दौर की वार्ता की थी। पेरू के मामले में एक साल से अधिक के अंतराल के बाद आठवें दौर की वार्ता होगी। वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार लातिन अमेरिकी क्षेत्र में कुल 43 देश शामिल हैं, जिनका वित्त वर्ष 25 के दौरान व्यापार 39.21 अरब डॉलर था।