भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंत नागेश्वरन ने शनिवार को कहा कि अमेरिका द्वारा हाल ही में भारतीय सामानों पर लगाए गए अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ से प्रभावित निर्यात क्षेत्रों को सहारा देने के लिए केंद्र सरकार, निजी क्षेत्र और अन्य स्टेकहोल्डर्स मिलकर जोर-शोर से काम कर रहे हैं। अमेरिका ने 27 अगस्त से भारतीय सामानों पर 50 फीसदी टैरिफ लागू किया है, जिसके बाद से सरकार सक्रियता से इस चुनौती का सामना करने की तैयारी में जुट गई है।
नागेश्वरन ने इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (ICC) द्वारा आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने बताया कि पिछले तीन-चार दिनों से निर्यातकों, उद्योग संगठनों, निजी क्षेत्र की निर्यात एजेंसियों और संबंधित मंत्रालयों के साथ लगातार बातचीत चल रही है। सरकार और वित्त मंत्रालय इस मुद्दे पर रणनीति बनाने के लिए ओवरटाइम काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस रणनीति का मुख्य मकसद प्रभावित निर्यात क्षेत्रों को समय और वित्तीय सहायता देना है, ताकि वे इस संकट से न केवल उबर सकें, बल्कि और मजबूत होकर सामने आएं। हालांकि, उन्होंने सरकार की योजना के बारे में और जानकारी देने से इनकार कर दिया।
नागेश्वरन ने इस चुनौती के बीच अर्थव्यवस्था में कुछ पॉजिटिव पहलुओं की भी बात की। उन्होंने हाल ही में सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी किए गए चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के GDP आंकड़ों का जिक्र किया। इन आंकड़ों के मुताबिक, स्थिर कीमतों पर वास्तविक GDP बढ़ोतरी दर पिछले साल की पहली तिमाही की तुलना में 7.8 फीसदी रही। इसमें कम GDP डिफ्लेटर की भी भूमिका रही। इसके अलावा, मौजूदा कीमतों पर नाममात्र GDP बढ़ोतरी 8.8 फीसदी रही, जो पिछले साल की समान अवधि से अधिक है।
उन्होंने कहा कि यह नाममात्र बढ़ोतरी खास तौर पर उत्साहजनक है, क्योंकि कुछ निजी क्षेत्र के अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया था कि यह 8 से 8.2 फीसदी के बीच रहेगी। 9 फीसदी के करीब पहुंचना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। नागेश्वरन ने इस मौके पर यह भी कहा कि संकट, चाहे छोटा हो या बड़ा, अक्सर समाज के सभी वर्गों को एकजुट करने और जरूरी कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है, जो सामान्य परिस्थितियों में देर से उठाए जाते हैं।