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कोविड प्रभावितों के लिए होंगे और उपाय

Last Updated- December 12, 2022 | 4:42 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में सबसे अधिक श्रमिक वर्ग में आने वाले कामगार, डॉक्टर और स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारी, कानून और व्यवस्था संभालने वाले तथा नगर निगम के कर्मचारी, जैसे तैसे रोजाना आजीविका कमाने वाले लोग और छोटे कारोबार प्रभावित हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इनके दर्द को कम करने के और अधिक उपाय किए जाने चाहिए।
रिपोर्ट में यह भी इंगित किया गया है कि रिजर्व बैंक के आर्थिक वृद्घि के अनुमान में बदलाव किया जा सकता है क्योंकि 7 अप्रैल को एमपीसी की स्वीकृत प्रस्ताव में 2021-22 की पहली तिमाही के लिए 26.2 फीसदी का केंद्रीय बैंक का वास्तविक जीडीपी वृद्घि अनुमान महामारी के इस प्रकोप से पहले जताया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि फिर भी, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही की आधी अविध में कोविड-19 के कारण आर्थिक गतिविधि शिथिल हुई है लेकिन पूरी तरह से कमजोर नहीं पड़ी है। इस बार नुकसान का दायरा उतना अधिक नहीं है जितना कि एक वर्ष पहले रहा था। हालांकि, इस बार मौतें अधिक हो रही हैं और संक्रमण के मामले अधिक हैं। 
केंद्रीय बैंक ने मई की बुलेटिन के साथ जारी आर्थिक रिपोर्ट में कहा है कि सर्वाधिक प्रभावित समूहों को नीतिगत तौर पर अधिक प्राथमिकता दी जाएगी और उनके लिए और भी बहुत कुछ किया जाना है। 

यह रिजर्व बैंक की ओर से 5 मई को घोषित उपायों में सबसे ऊपर होगा जिसमें स्वास्थ्य देखभाल उद्योग के लिए 50,000 करोड़ रुपये के साथ साथ व्यक्तियों और छोटे कारोबारों के लिए 25 करोड़ रुपये तक के ऋणों का पुनर्गठन शामिल है। रिजर्व बैंक ने कहा, ‘नए संक्रमणों का असर यू आकार का नजर आ रहा है।’ 
कृषि और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने इस तूफान का अच्छे से मुकाबला किया है। जबकि दूर से आपूर्ति किए जाने वाले स्वचालित विनिर्माण और सेवाओं ने कुछ हद तक अच्छा प्रदर्शन किया है। उक्त सर्वाधिक प्रभावित लोग यू आकार के कुएं का प्रतिनिधित्व करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कुल मांग की स्थिति पर असर पड़ा है फिर भी उतना अधिक नहीं जितना कि पहली लहर में था।’ अप्रैल में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 1.41 लाख करोड़ रुपये का रहा था जो अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है। राज्य के भीतर और राज्यों के बीच व्यापार का संकेत देने वाले ई-वे बिलों की संख्या में भारी संकुचन आया है लेकिन कुल ई-वे बिलों की संख्या महामारी से पूर्व फरवरी 2020 के आधारभूत स्तर बनी हुई है जिससे पता चलता है कि घरेलू व्यापार बिक्री प्लेटफॉर्मों के डिजिटलीकरण के कारण सक्षम बना हुआ है। आंकड़ों की कमी के बावजूद अप्रैल और मई, 2021 के लिए उच्च बारंबारता संकेतकों से पता चलता है, ‘दूसरी लहर में सबसे अधिक मांग को झटका लगा है, आवागमन, विचाराधीन खर्च और रोजगार का नुकसान हुआ है, इसके अलावा इन्वेंट्री का अंबार लग गया है।’

First Published - May 18, 2021 | 12:52 AM IST

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