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किसान पैकेज के लिए धन की कमी नहीं : मनमोहन

Last Updated- December 05, 2022 | 4:27 PM IST

बजट 2008-09 में किसानों के लिए घोषित राहत पैकेज के बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज संसद में स्पष्ट किया कि सरकार कर और गैर कर राजस्व से इसका भुगतान करेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि  भुगतान का समय आने पर बैंकों को उसका मुआवजा दिया जाता रहेगा। इससे न केवल किसानों को राहत मिलेगी, बल्कि बैंकों की बैलेंस शीट भी साफ होगी। राहत पैकेज के लिए धन की कोई कमी नहीं है।
किसानों की कर्ज की समस्या को पूर्ववर्ती राजग सरकार से संप्रग सरकार को मिली विरासत करार देते हुए प्रधानमंत्री  ने कहा कि उनकी सरकार ने 60 हजार करोड़ रुपये की ऋण माफी की एक बड़ी पहल कर पूर्व की नाकामी को दूर करने का प्रयास किया है। संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई दो दिवसीय चर्चा का उत्तर देते हुए प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में भाजपा के आरोपों का जवाब देने के लिए सीधे विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी से मुखातिब होते हुए कहा कि वह विपक्ष के नेता को याद दिलाना चाहते हैं कि हमने राजग शासन द्वारा किसानों के संकट के वक्त कुछ नहीं करने का भुगतान किया है।
चर्चा के दौरान आडवाणी सहित विपक्ष के कई नेताओं ने सरकार से जानना चाहा था कि छोटे और सीमांत किसानों के माफ किए गए ऋणों के लिए जरूरी 60 हजार करोड़ रुपये की रकम की कहां से व्यवस्था की जाएगी। सिंह ने कहा कि ऋण माफी के लिए आवश्यक संसाधन जुटाने पर संदेह व्यक्त किया गया है लेकिन किसानों की परेशानी राजग शासन की विरासत है जिस दौरान नीतियां किसान विरोधी कृषि विरोधी थीं। राहत पैकेज में धन की कोई कमी नहीं होने देने का दावा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ऋण भुगतान का समय आने पर बैंको को उसका मुआवजा दिया जाता रहेगा। उन्होंने कहा कि इस तरह किसानों को तत्काल राहत पैकेज से लाभ मिलना शुरू हो जाएगा। इस पैकेज के वित्तपोषण के बारे में सिंह ने कहा कि सरकार कर और गैर कर राजस्वों से इस अवधि के दौरान पर्याप्त प्रावधान करेगी कि इस पैकेज का वित्तपोषण किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस बारे में किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि इसकी वजह से बैंकिंग प्रणाली पर कोई दबाव बनेगा और रुपये की उपलब्धता में कोई कमी आएगी। सिंह ने कहा कि 60 हजार करोड़ रुपये के ऋण राहत पैकेज में सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और सहकारी बैंक शामिल होंगे।
उन्होंने कहा कि यह उत्पादन और प्रत्यक्ष निवेश दोनों को शामिल करता है। यह सिर्फ गैर निष्पादन आस्तियों के संबंध में नहीं है यह बकाया आधिक्य से भी जुड़ा है। यह करीब चार करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाएगा। उन्होंने सदन को आश्वासन दिया कि ऋण राहत साधारण प्रक्रिया होगी जिसे जून के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह लंबा खिंचने वाला मामला नहीं होगा। सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित कर्ज राहत हमारे किसानों के कंधों पर राजग कार्यकाल के समय के बोझ को अंतत: समाप्त करने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि हम कृषि संकट समाप्त करने के लिए संकल्पबध्द हैं। भाजपा सदस्यों की टोका टाकी के बीच उन्होंने जोर देकर कहा कि हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक हम सभी किसानों के आंखों से आंसू नहीं पोंछ देते। सिंह ने कहा कि इसी वजह से हमारी सरकार ने अभूतपूर्व पैमाने पर किसानों के ऋणों को माफ करने की ऐतिहासिक पहल की है। इस पैमाने पर ऋण राहत योजना के बारे में पहले कभी सोचा नहीं गया या फिर प्रयास ही नहीं किया गया। प्रधानमंत्री ने सवाल किया कि उद्योग में यदि दिवालियापन को अनुमति है तो इस माफी में क्या अतार्किक है। उन्होंने कहा कि इससे किसानों को संस्थागत ऋण के नए प्रवाह का संचार होगा। इससे बैंकों की बैलेंस शीट साफ होगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। कई किसानों के महाजनों के चंगुल में फंसे होने संबंधी सदस्यों की चिंताओं से इत्तफाक रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि संस्थागत ऋण के दायरे से जो बाहर हैं और ऋण माफी का फायदा नहीं उठा सकते उनके लिए एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया गया है। वित्तीय समावेश का यह कार्यक्रम यह सुनिश्चित करने के लिए है कि हर किसान का बैंक खता हो और वह संस्थागत ऋण हासिल करने में सक्षम हो सके। कुछ जिलों में इसमें कुछ सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि हम वही नतीजा पूरे देश में मिलने की उम्मीद करते हैं। राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी कि वित्तीय समावेश वास्तविकता बन सके।

First Published - March 5, 2008 | 9:51 PM IST

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