आखिरकार सरकार ने कच्चे तेल की आग में झुलसकर दम तोड़ती तेल कंपनियों की जान बचाने के लिए पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमतें बढ़ाकर उसे ‘खून’ चढ़ाने की कवायद शुरू कर दी।
यही नहीं, शुल्कों में कटौती, बॉन्ड और ओएनजीसी जैसी कंपनियों द्वारा छूट के जरिए भी सरकारी अमले की तरफ से भी रक्तदान का ऐलान किया। मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की राजनीतिक समिति (सीसीपीए) की बैठक में ये फैसले लिए गए।
जबरन डाला जनता पर बोझ
पेट्रोल 5 रुपये और डीजल 3 रुपये प्रति लीटर महंगा
रसोई गैस सिलेंडर के दाम भी 50 रुपये बढ़े
मगर केरोसीन के दाम रखे जस के तस
नई दरें बुधवार आधी रात से होंगी प्रभावी
खुद सरकार ने भी किया ‘रक्तदान’
पेट्रोल-डीजल के उत्पाद शुल्क में एक रुपया प्रति लीटर की कटौती
पेट्रोल-डीजल पर सीमा शुल्क 7.5 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत किया
कच्चे तेल पर सीमा शुल्क 5 फीसदी से घटाकर शून्य किया
अन्य पेट्रोलियम उत्पादों पर सीमा शुल्क 10 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत किया
94,601 करोड़ रुपये के तेल बॉन्ड जारी करने की घोषणा
ओएनजीसी जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की तेल उत्पादन कंपनियां तेल रिफाइनरियों और विपणन कंपनियों को छूट के जरिए 60,000 करोड़ रुपए देंगी
…मगर और भड़केगी महंगाई की आग
खुद पेट्रोलियम सचिव ने माना है कि कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से महंगाई दर 0.5 से 0.6 प्रतिशत तक बढ़ सकती है
हमारे पास कोई चारा नहीं था। दामों में लगातार हो रही वृध्दि के कारण यह जरूरी हो गया था कि कुछ हिस्सा उपभोक्ता पर डाला जाए। – मुरली देवड़ा, पेट्रोलियम मंत्री
आज घोषित पैकेज से रिटेल कंपनियों के मुनाफे और नकदी से जुड़े मुद्दों का समाधान हो गया है। – सार्थक बेहूरिया,आईओसी प्रमुख