बुनियादी ढांचा क्षेत्र के विकास के लिए सरकार अगले दो साल के अंदर 1 लाख करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बना रही है।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार कम समय में लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फाइनैंस कंपनी (आईआईएफसीएल) से 40,000 करोड़ रुपये के फंड मुहैया कराने को कह सकती है, जिसमें 10,000 करोड़ रुपये कर मुक्त बॉन्ड के जरिए मुहैया कराने की अनुमति पहले ही दी गई है।
सरकार के इस कदम से भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को गति मिलेगी। यही नहीं, इस योजना के तहत सार्वजनिक-निजी साझेदारी के तहत विकास किया जाएगा, जिसमें निजी क्षेत्रों की ओर से न्यूनतम निवेश किया जाएगा।
प्रस्तावित फॉर्मूले के तहत कॉरपोरेट जगत मात्र 15 फीसदी निवेश कर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को शुरू कर सकती है, जबकि शेष रकम सरकारी एजेंसियों की ओर से मुहैया कराया जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि सरकार ने बुनियादी ढांचा के लिए निजी क्षेत्रों को मदद करने के लिए यह प्रस्ताव तैयार किया है। क्योंकि निजी क्षेत्रों को पूंजी बाजार और विदेशी बाजारों से फंड जुटाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
वित्त मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आईआईएफसीएल को कर मुक्त बॉन्ड के जरिए 10,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था करनी है, साथ ही उसे इसी उपाय के तहत 40,000 करोड़ रुपये जुटाने को कहा जा सकता है।
प्रस्तावित योजना के तहत बड़ी परियोजनाओं के लिए सरकार कर्ज और इक्विटी के जरिए धन जटा सकती है, ताकि परियोजनाओं के विकास में किसी तरह की कोई बाधा न आए।
आईआईएफसीएल को जो कर मुक्त बॉन्ड के जरिए 10,000 करोड़ रुपये जुटाने की अनुमति दी गई है, उस पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड से कर में छूट की मंजूरी मिलनी बाकी है। सूत्रों का कहना है कि सरकार जल्द ही सॉवरेन गारंटी भी मुहैया करा सकती है।
योजना आयोग के मुताबिक, नए प्रस्ताव के तहत आईआईएफसीएल को 10,000 करोड़ रुपये से 40,000 करोड़ रुपये जुटाने की अनुमति दी जा सकती है। उल्लेखनीय है कि 10,000 करोड़ रुपये के मूल प्रस्ताव को दिसंबर में पेश किया गया था।
ताकि 25,000 करोड़ रुपये की लागत वाली सड़क व पोर्ट परियोजनाओं को धन की कोई कमी न हो। इन परियोजनाओं के लिए कर्ज और इक्विटी के 1:3 अनुपात में फंड मुहैया कराए जा सकते हैं।
इसका मतलब यह हुआ कि 1000 करोड़ रुपये की परियोजना के लिए प्रवर्तकों को 250 करोड़ रुपये इक्विटी के जरिए जुटाने की अनुमति होगी।
यही नहीं, अगर प्रवर्तकों को फंड की कमी हुई तो वह आईआईएफसीएल से 100 करोड़ रुपये कर्ज जुटा सकते हैं। कंपनी 750 करोड़ रुपये बैंक और वित्तीय संस्थानों से उधार ले सकती है।
नए साल में सजग हुई सरकार
बुनियादी क्षेत्रों के लिए 1 लाख करोड़ रुपये उपलब्ध कराने की योजना
आईआईएफसीएल को 40,000 करोड़ रुपये जुटाने की दी जा सकती है अनुमति
निजी क्षेत्र 15 फीसदी निवेश से शुरू कर सकेंगा बुनियादी ढांचा परियोजनाएं