बाजार नियामक सेबी ने मंगलवार को बाजार तरलता बढ़ाने के प्रयास में वैकल्पिक आधार पर शेयर लेनदेन पूरे करने के लिए टी+1 निपटान चक्र की पेशकश की।
मौजूदा समय में, भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों पर सौदों का निपटान दो कामकाजी दिनों (टी+2) में किया जाता है। सर्कुलर के अनुसार, बाजार नियामक ने स्टॉक एक्सचेंजों को शेयर लेनदेन पूरे करने के लिए टी+1 या टी+2 निपटान चक्र सुविधा (कोई भी) मुहैया कराने का निर्णय लिया है। स्टॉक एक्सचेंज सभी शेयरधारकों को निपटान चक्र में बदलाव के बारे में कम से कम एक महीने पहले सूचना देने के बाद किसी भी शेयर पर टी+1 निपटान चक्र की पेशकश का विकल्प चुन सकते हैं। यह सूचना सार्वजनिक तौर पर, और वेबसाइट पर भी दी जा सकती है।
किसी शेयर के लिए टी+1 निपटान चक्र चयन के बाद, स्टॉक एक्सचेंज को 6 महीने की न्यूनतम अवधि के लिए इसे बरकरार रखना अनिवार्य होगा। इसलिए, यदि स्टॉक एक्सचेंज फिर से टी+2 निपटान चक्र की व्यवस्था पर वापस लौटता है तो उसे इस संबंध में बाजार को एक महीने पहले जानकारी देनी होगी, लेकिन इस तरह के बदलाव में नियामक द्वारा निर्धारित न्यूनतम अवधि का ध्यान रखना होगा।
यह निर्णय स्टॉक एक्सचेंजों, क्लियरिंग कॉरपोरेशनों और डिपोजिटरी जैसे बाजार इन्फ्रास्ट्रक्चर संस्थानों के साथ चर्चा के बाद लिया गया है। सेबी ने कहा है, ‘टी+1 और टी+2 सेटलमेंट के बीच कोई संबंध नहीं होगा।’
प्रतिभूति के लिए निपटान विकल्प स्टॉक एक्सचेंज पर सभी तरह के लेनदेन के लिए लागू होगा। उदाहरण के लिए, यदि कोई शेयर स्टॉक एक्सचेंज पर टी+1 निपटान के दायरे में आता है, तो नियमित बाजार सौदों के साथ साथ बड़े सौदों के लिए भी उस एक्सचेंज पर टी+1 निपटान चक्र पर अमल होगा। नियामक ने कहा है कि नए ढांचे पर अमल 1 जनवरी, 2022 से प्रभावी होगा। सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों, क्लियरिंग संस्थानों और डिपोजिटरियों को वैकल्पिक आधार पर टी+1 निपटान चक्र की आसान पेशकश के लिए सभी जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया है।
इससे पहले वर्ष 2003 में, सेबी ने निपटान चक्र की अवधि टी+3 से घटाकर टी+2 की थी।