facebookmetapixel
एयर, वॉटर प्यूरीफायर पर 5% GST! वायु प्रदूषण के मद्देनजर अगली बैठक में कटौती पर सरकार करेगी विचार2025 ने वैश्विक व्यापार को नियमों से ज्यादा सहनशक्ति की परीक्षा कैसे बना दिया?एआई और आधुनिक तकनीक से प्रदूषण नियंत्रण, विकास और पर्यावरण में संतुलन बना रहा यूपीपीसीबीउत्तर प्रदेश के लोगों को बड़ी सौगात! अब जन सेवा केंद्रों पर बनेंगे ड्राइविंग लाइसेंस, RTO के चक्कर से राहतस्टार्टअप को बढ़ावा देने वाला ​​ठिकाना बन गया उत्तर प्रदेश: इंडियन बैंकचमकते बस अड्डे, इलेक्ट्रिक बसें और बेहतर कनेक्टिविटी: उत्तर प्रदेश परिवहन की बड़ी छलांगबाघ, पक्षी और जंगल सफारी: धार्मिक स्थलों से आगे बढ़ा पर्यटन, उत्तर प्रदेश के जंगल भी बने सैलानियों की पसंदनए औद्योगिक क्षेत्रों और MSME में दिख रहा यूपी का बदलता चेहरा, निवेश और विकास को मिली नई रफ्तारआर्थिक वृद्धि और पर्यावरण संरक्षण के बीच पुल बन सकती है तकनीक, सर्कुलर इकनॉमी पर जोरकाशी विश्वनाथ, राम मंदिर से लेकर मथुरा-वृंदावन तक; उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का इंजन बना पर्यटन

स्टील मिलों को चीन से आयात की चिंता

आईएसए से प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 24 की अप्रैल-जुलाई अवधि के दौरान चीन से 5,70,000 टन तैयार इस्पात का आयात किया गया था

Last Updated- August 29, 2023 | 10:55 PM IST
steel mills worried about import from china

भारत में चीनी इस्पात आयात के इजाफे से चिंतित देश के इस्पात उत्पादकों का अग्रणी संगठन इंडियन स्टील एसोसिएशन (आईएसए) इस संबंध में शीघ्र उपाय की मांग करते हुए यह मामला सरकार के पास ले जाने की योजना बना रहा है।

आईएसए के महासचिव आलोक सहाय ने कहा कि व्यापार के सुधारात्मक उपायों में प्रणालीगत बदलावों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत में कम शुल्क होने की वजह से कोई भी व्यापारिक उपाय करने में कम से कम 15 महीने का समय लगता है, जिससे भारत आसान लक्ष्य बन जाता है। हम इस संबंध में सरकार को पत्र लिखने जा रहे हैं। सहाय ने कहा कि समान अवसर के लिए निर्यातक देशों द्वारा पैदा की गई व्यापारिक विकृतियों का समय रहते और प्रभावी ढंग से मुकाबला करना होगा।

आईएसए से प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 24 की अप्रैल-जुलाई अवधि के दौरान चीन से 5,70,000 टन तैयार इस्पात का आयात किया गया था, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 63 प्रतिशत अधिक है। कोरिया से 6,85,000 टन आयात किया गया था, जो पिछले वर्ष से चार प्रतिशत कम है। संयुक्त संयंत्र समिति (जेपीसी) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।

चीन में संपत्ति बाजार संकट में आने के बाद से वहां मांग नरम पड़ गई है। हालांकि चीन में उत्पादन बढ़ा है और भारत में मजबूत मांग से चीनी इस्पात मिलों को अपने उत्पादों का निर्यात करने का अवसर मिल रहा है।

जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी जयंत आचार्य ने कहा कि एक ओर वैश्विक इस्पात उत्पादन में कमी आई है, दूसरी ओर चीन में जनवरी-जुलाई 2023 के दौरान उत्पादन 2.5 प्रतिशत बढ़कर 62.7 करोड़ टन हो गया है।

उन्होंने कहा ‘चीन में घरेलू मांग नरमी बनी हुई है, जिसके परिणामस्वरूप चीन से अधिक इस्पात निर्यात हो रहा है। नतीजतन चीन से इस्पात निर्यात 28 प्रतिशत बढ़कर 5.1 करोड़ टन हो गया है।’

आचार्य ने कहा कि कमजोर वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण के बीच भारत आशाजनक कुछ स्थानों में से एक बना हुआ है, जिससे यह अनुचित कीमतों पर बढ़ते आयात से जोखिमपूर्ण स्थिति में आ गया है। प्रमुख इस्पात मिलों के अनुसार चीनी आयात से कीमतों पर असर पड़ रहा था।

First Published - August 29, 2023 | 10:55 PM IST

संबंधित पोस्ट