राज्यों ने वित्त वर्ष 26 में अप्रैल से अगस्त के दौरान अपने पूंजीगत व्यय के बजट का 27 प्रतिशत खर्च किया। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की 20 राज्यों की मासिक लेखा रिपोर्ट के विश्लेषण के अनुसार इस अवधि में राज्यों के पूंजीगत व्यय में सालाना आधार पर 13.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट में 20 राज्यों के आंकड़े उपलब्ध हैं। इसमें से 16 राज्यों ने वित्त वर्ष 26 के पहले पांच महीनों में पूंजीगत व्यय के बजट अनुमान 30 प्रतिशत से कम खर्च किया है। बजट अनुमानों के अनुपात में सर्वाधिक खर्च करने वाले राज्यों के समूह का नेतृत्व तेलंगाना ने किया। तेलंगाना ने बजट अनुमानों का 39.28 प्रतिशत खर्च किया। इसके बाद केरल (38.82 प्रतिशत), हरियाणा (37.72 प्रतिशत) और मध्य प्रदेश (32.79 प्रतिशत) हैं।
हालांकि पूंजीगत व्यय का बजट कम खर्च करने वाले राज्यों में त्रिपुरा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य हैं। इस क्रम में त्रिपुरा ने 6.53 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ ने 11.02 प्रतिशत मात्र खर्च किया। प्रमुख राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र और कर्नाटक ने पूंजीगत व्यय में दो अंकों व तीन अंकों में वृद्धि दर्ज की। हालांकि राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा के पूंजीगत व्यय के खर्च में बीते वर्ष की इस अवधि की तुलना में इस वर्ष गिरावट थी। महालेखा नियंत्रक के बीते माह जारी आंकड़ों के अनुसार केंद्र का पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 26 की अप्रैल-जुलाई में बजट अनुमान का 30.9 प्रतिशत था जो बीते साल की तुलना में 32.7 प्रतिशत अधिक है।
वित्त वर्ष 26 के अप्रैल से अगस्त की अवधि में इन 20 राज्यों का राजस्व खर्च मामूली रूप से 8.7 प्रतिशत बढ़कर 15.43 लाख करोड़ रुपये हो गया। राजस्व कर संग्रह वित्त वर्ष 26 के पहले पांच महीनों में 8.36 प्रतिशत बढ़कर 12.5 लाख करोड़ रुपये हो गया। पिछले महीने जारी लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-जुलाई वित्त वर्ष 2026 के लिए केंद्र का पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 2026 के बजट अनुमान का 30.9 प्रतिशत रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 32.7 प्रतिशत अधिक है।
वित्त वर्ष 26 के पहले पांच महीनों में राज्यों की उधारी पर निर्भरता तेजी से बढ़ी। अप्रैल से अगस्त के दौरान राज्यों की उधारी और अन्य देनदारियों पर सालाना आधार पर 23.9 प्रतिशत बढ़कर 3.21 लाख करोड़ रुपये हो गई। प्रमुख राज्यों में गुजरात की उधारी वित्त वर्ष 26 में दोगुना से अधिक बढ़कर 13,227 करोड़ रुपये हो गई जबकि यह एक साल पहले 5,027 करोड़ रुपये थी। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड और ओडिशा के उधारी में भी प्रमुख रूप से उछाल आया। इसके विपरीत हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मेघालय और त्रिपुरा की बीते वर्ष की तुलना में उधारी का स्तर कम दर्ज हुआ।
एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज की मुख्य अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने बताया, वित्त वर्ष 26 में राज्यों का राजस्व व्यय (19 प्रतिशत) और पूंजीगत व्यय (30 प्रतिशत) में बजट वृद्धि अवास्तविक है। उन्होंने बताया, ‘हालांकि सब्सिडी को युक्तिसंगत (वित्त वर्ष 26 के बजट अनुमान में वृद्धि 5 प्रतिशत) तय किया गया है। यह देखना बाकी है कि क्या यह संभव है। जीएसटी 2.0 के कारण राजस्व पर जोखिम बढ़ गया है। लिहाजा पूंजीगत व्यय में कटौती भी की जा सकती है।’