S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का अनुमान 40 आधार अंक बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। साथ ही एजेंसी ने कहा है कि कम राजकोषीय घाटे से आर्थिक वृद्धि प्रभावित होगी।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लगाए गए 7 प्रतिशत वृद्धि के अनुमान की तुलना में कम वृद्धि का अनुमान लगाते हुए S&P रेटिंग्स ने कहा कि उसे उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 में वृद्धि दर, वित्त वर्ष 2024 के अनुमानित 7.6 प्रतिशत के बेहतर वृद्धि की तुलना में धीमी रहेगी।
रेटिंग एजेंसी ने एक बयान में कहा है कि प्रतिबंधात्मक ब्याज दरों का असर अगले वित्त वर्ष की मांग पर पड़ सकता है, जबकि नियामकीय कार्रवाई से असुरक्षित उधारी में कमी आएगी और इससे ऋण वृद्धि प्रभावित होगी। S&P ने एशिया प्रशांत के अपने आर्थिक परिदृश्य में कहा है कि एशिया के उभरते बाजारों (ईएम) में हम सामान्यतया तेज वृद्धि का अनुमान लगा रहे हैं, जिसमें भारत, इंडोनेशिया, फिलिपींस और वियतनाम प्रमुख हैं।
S&P यह भी उम्मीद कर रही है कि वित्त वर्ष 2025 में खुदरा महंगाई और गिरकर औसतन 4.5 प्रतिशत रह जाएगी। वित्त मंत्रालय ने अपनी हालिया मासिक आर्थिक रिपोर्ट में कहा था कि उसे महंगाई के दबाव में कमी आने की संभावना है।
मंत्रालय ने अनुमान लगाया है कि गर्मियों की बोआई गति पकड़ने के साथ खाद्य वस्तुओं की कीमत में कमी आएगी। वित्त वर्ष 2026 और 2027 के लिए S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने वृद्धि अनुमान 7 प्रतिशत बरकरार रखा है। इसने कहा है कि महंगाई बढ़ने का जोखिम हमेशा बना हुआ है।
एजेंसी ने कहा है, ‘लेकिन अगर प्रमुख वैश्विक झटकों को छोड़ दें तो हम सामान्यतया यह अनुमान लगा रहे हैं कि अब उन जोखिमों में कमी आई है। हाल में अंतरराष्ट्रीय शिपिंग की समस्या के कारण कीमतें बढ़ने के दबाव का कुल मिलाकर महंगाई दर पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा है।’