facebookmetapixel
₹70,000 करोड़ की वैल्यूएशन वाली Lenskart ला रही है 2025 का पांचवां सबसे बड़ा IPOरूसी तेल पर पश्चिमी देशों का दोहरा रवैया, अमेरिकी दबाव के बीच जयशंकर का पलटवारकोयला मंत्रालय ने भूमिगत कोयला गैसीकरण के लिए मसौदा दिशानिर्देश जारी किएबीमा क्षेत्र की बिक्री बढ़ी पर शुरुआती चुनौतियांइलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम के तहत 5,532 करोड़ रुपये की 7 परियोजनाएं मंजूरडायरेक्ट असाइनमेंट को बैंकों से वरीयता मिलने की संभावनासरकारी बैंकों में विदेशी निवेश 49% तक बढ़ाने की तैयारी, सरकार खोल सकती है दरवाजेलगातार तीन तिमाहियों की बढ़त के बाद कारोबारी धारणा में गिरावटसेबी ने मिल्की मिस्ट डेयरी फूड, क्योरफूड्स इंडिया समेत 5 आईपीओ को मंजूरी दीऋण के सार्वजनिक निर्गम में चुनिंदा निवेशकों को प्रोत्साहन पर विचार

सबकी सामाजिक सुरक्षा एक विकृत प्रोत्साहन: CEA

उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में नागरिकों को समान भत्ता दिए जाने का विचार आगे बढ़ाया था

Last Updated- June 09, 2023 | 10:43 PM IST
Special focus will be on deregulation in Economic Review 2024-25: CEA V Anant Nageswaran आर्थिक समीक्षा 2024-25 में नियमन हटाने पर रहेगा विशेष ध्यानः CEA वी अनंत नागेश्वरन

मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वर राव ने शुक्रवार को सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा के विचार को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि यह लोगों को विकृत प्रोत्साहन देने का आधार तैयार करेगा और उन्हें आय सृजन के अवसर तलाशने से रोकेगा।

उन्होंने कहा कि भारत जैसे विकासशील देशों के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा की अवधारणा अनुकूल नहीं है, जहां लोगों की आकांक्षाएं पूरी करने के लिए आर्थिक वृद्धि पर ध्यान देने की जरूरत है।

एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, ‘हमारे देश के मामले में जब प्राकृतिक आर्थिक वृद्धि तमाम लोगों की आकांक्षाएं पूरी कर सकती है, ऐसे में संभवतः यह (सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा) जरूरी नहीं है। संभवतः इससे हम अवसर की तलाश कर रहे लोगों को खुद प्रयास न करने के लिए विकृत प्रोत्साहन का आधार तैयार करेंगे। ऐसे में भारत के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा कोई ऐसी चीज नहीं है, जो निकट भविष्य के एजेंडे में रखी जानी चाहिए।’

बहरहाल उन्होंने कहा कि उन लोगों को समर्थन दिया जा सकता है, जो आर्थिक गतिविधियों में हिस्सा लेने में सक्षम नहीं हैं और उन्हें ऐसे स्तर पर लाया जाना चाहिए, जब वे अर्थव्यवस्था में अर्थपूर्ण तरीके से शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत अभी उस अवस्था में नहीं पहुंचा है, जहां उसे नैतिक या आर्थिक रूप से सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा की जरूरत हो।

उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में नागरिकों को समान भत्ता दिए जाने का विचार आगे बढ़ाया था।

सुब्रमण्यन ने 2016-17 की आर्थिक समीक्षा में प्रस्ताव किया था कि हर वयस्क और बच्चे, गरीब या अमीर को सार्वभौमिक बुनियादी आय (यूबीआई) या एकसमान भत्ता दिया जाना चाहिए।

सर्वे में कहा गया है कि यूबीआई सभी नागरिकों की बुनियादी जरूरतें पूरी करने के की गारंटी देगा और इसे लागू करना मौजूदा गरीबी हटाने की योजनाओं की तुलना में आसान तरीके से लागू किया जा सकेगा, जो योजनाएं बर्बादी, भ्रष्टाचार और धन के दुरुपयोग की शिकार हैं।

First Published - June 9, 2023 | 10:43 PM IST

संबंधित पोस्ट