कई आर्थिक संकेतकों के साथ ही आर्थिक गतिविधि में तेजी के संकेत दिखाई दिए हैं। बिजली उत्पादन और रेल भाड़े में तेजी आई है जबकि यातायात और उत्सर्जन संबंधी संकेतक लगभग सपाट रहे।
बिज़नेस स्टैंडर्ड प्रदूषण स्तर, भारतीय रेलवे द्वारा ले जाने वाले सामान, बिजली उत्पादन और विभिन्न श्रेणियों में होने वाले यातायात पर नजर रख रहा है। छोटे-छोटे क्षेत्रों से जुड़े संकेतक अर्थव्यवस्था की स्थिति की बेहतर तस्वीर पेश करते हैं क्योंकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) तथा आईआईपी संकेतक आदि कुछ महीनों के बाद सामने आते हैं। कोविड-19 महामारी से जूझ रहे देशों में जमीनी स्थिति पर हो रहे बदलावों को देखने के लिए भी वैश्विक विश्लेषक इन्हीं संकेतकों पर नजर रख रहे हैं।
7 दिसंबर को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान सालाना आधार पर बिजली उत्पादन औसतन चार प्रतिशत बढ़ा, जो वाणिज्यिक एवं घरेलू क्षेत्र से ऊर्जा की मांग में वृद्धि का संकेत था। इसकी तुलना में पिछले सप्ताह बिजली उत्पादन सालाना आधार पर सपाट था, जो त्योहारी सीजन से पहले आई मांग में तेजी के बाद कमी का संकेत था।
अक्टूबर के मध्य से अब लगभग एक महीने के लिए, बिजली उत्पादन औसतन सालाना आधार पर 12 प्रतिशत अधिक रहा। हालांकि संचयी रूप से बिजली उत्पादन अब चालू वित्त वर्ष के दौरान 4.2 प्रतिशत कम है।
कारखाने और कार्यालयों के बंद रहने के दौरान बिजली उत्पादन 2019 की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत कम हो गया था। जुलाई के अंत में स्थिति सामान्य होना शुरू हुई। दीपावली के बाद यह दोबारा पिछले साल के स्तर से नीचे चला गया था और पिछले सप्ताह इसमें दोबारा तेजी देखी गई।
रेलवे भाड़ा काफी आश्चर्यजनक रूप से बढ़ा और उसने मात्रात्मक आधार पर दो अंकों की वृद्धि दर्ज की। रविवार 7 दिसंबर को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान रेलवे ने 265.3 लाख टन की माल ढुलाई की, जो सालाना आधार पर 11.3 प्रतिशत अधिक रहा। सप्ताह के दौरान रेलवे की कुल माल ढुलाई आय सालाना आधार पर 9.8 प्रतिशत बढ़कर 2,666.4 करोड़ रुपये रही। हालांकि यात्रियों की संख्या और उनके सफर से प्राप्त होने वाला राजस्व कम रहा। सालाना आधार पर यात्रियों की संख्या 25.5 प्रतिशत तक रही जबकि इनसे होने वाला राजस्व सालाना आधार पर 33.1 प्रतिशत कम रहा। कोरोना की रोकथाम के लिए गए लॉकडाउन के कारण इस साल मार्च और अप्रैल में रेलवे ने यात्री सेवा पूरी तरह बंद कर दी थीं और अभी भी उन्हें शत-प्रतिशत तरीके से सामान्य किया जाना शेष है। ग्लोबल लोकेशन टेक्नॉलॉजी फर्म टॉमटॉम इंटरनेशनल के यातायात परिवहन संबंधी आंकड़े बताते हैं कि 7 दिसंबर को समाप्त हुए सप्ताह में नई दिल्ली का यातायात साल 2019 के इसी सप्ताह के मुकाबले लगभग 37 फीसदी कम था। यह पिछले हफ्ते में देखे गए यातायात के लगभग समान रहा। मुंबई में सफर करने वालों की भीड़ में थोड़ी वृद्धि देखी गई। पिछले सप्ताह सालाना आधार पर 31 प्रतिशत कमी देखी गई थी जो इस सप्ताह घटकर 29 प्रतिशत रह गई।
बिज़नेस स्टैंडर्ड हवा में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओएक्स) के स्तर की भी निगरानी करता है। यह उत्सर्जन औद्योगिक गतिविधियों एवं वाहनों से होता है। बांद्रा इलाके के आंकड़ों के आधार पर मुंबई के उत्सर्जन में 2019 के मुकाबले इस सप्ताह 98 प्रतिशत की गिरावट आई है जो पिछले लगभग एक महीने से अपरिवर्तित है। दूसरी ओर, दिल्ली में उत्सर्जन में गिरावट अब कम होती दिख रही है, जिसके लिए दिल्ली सीमाओं पर किसान के विरोध को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। पिछले सप्ताह दिल्ली में एनओएक्स उत्सर्जन साल 2019 के मुकाबले लगभग 5.6 प्रतिशत अधिक था। इसकी तुलना में, 30 नवंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान दिल्ली में उत्सर्जन में सालाना आधार पर 30 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई थी।
सर्च इंजन गूगल का डेटा एक अंतराल के साथ जारी किया गया है। नवीनतम 4 दिसंबर तक के आंकड़े उपलब्ध हैं। रिटेल एवं रिक्रिएशन स्पॉट्स में पिछले हफ्ते औसतन 28 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जो एक हफ्ते पहले सालाना आधार पर 29 प्रतिशत की गिरावट आई थी। हालांकि एक सप्ताह पहले उपभोक्ताओं द्वारा खरीदारी के लिए लगाए गए फेरों में मामूली बढ़ोतरी हुई थी। आंकड़े बताते हैं कि किराना एवं फार्मेसी स्टोर तक जाने में तेजी आई।
