वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) ने आज कहा कि ई-वे बिल के सृजन से आर्थिक बहाली के संकेत मिल रहे हैं। जीएसटी के लिए आईटी संबंधी बुनियादी ढांचा मुहैया कराने वाले जीएसटीएन ने कहा कि आंकड़ों से संकेत मिलते हैं कि जुलाई महीने में जीएसटी संग्रह में तेजी आएगी।
एक बयान में नेटवर्क ने कहा कि अनलॉक-1 के अंतिम दिन 30 जून को 18.3 लाख ईवे बिल का सृजन किया गया, जो 54,500 करोड़ रुपये से ज्यादा का है, जो लॉकडाउन लागू होने के बाद का सर्वोच्च स्तर है। सामान्य दिनों में एक दिन में करीब 20 लाख बिल का सृजन होता है। लॉकडाउन होने के बाद इसमें उल्लेखनीय कमी आई।
मार्च 2020 में ईवे बिल के सृजन में सबसे तेज गिरावट आई, जब यह 25 मार्च को घटकर महज 50,000 रह गया, जो देशव्यापी लॉकडाउन का पहला दिन था। अगर महीने के आधार पर ईवे बिल के सृजन के आंकड़े देखें तो अप्रैल महीने में आंकड़ों में तेज गिरावट आई और कुल 3.9 लाख करोड़ रुपये के 84.5 लाख बिल का सृजन हुआ। प्रतिबंधों में ढील मिलने के बाद मई और जून के बीच आंकड़ों में सुधार आया। जीएसटीएन ने कहा, ‘आंकड़ों से संकेत मिलते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था गति पकड़ रही है और वस्तुओं की आवाजाही लॉकडाउन के पहले के स्तर पर पहुंचने की ओर है व वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) संग्रह तेजी से बढ़ रहा है।’
जून में जीएसटी संग्रह 90,917 करोड़ रुपये रहा है, जबकि इसके पहले महीने में 62,009 करोड़ रुपये और अप्रैल में 32,294 करोड़ रुपये था। बहरहाल संग्रह में आई तेजी की एक वजह यह भी है कि कारोबारियों ने पिछले महीनों का बकाया भी जून में दाखिल किया, क्योंकि सरकार ने जीएसटी दाखिल करने को लेकर छूट दी थी। नेटवर्क ने कहा है कि संकेत मिलते हैं कि अनलॉक-2 में खुशी के ज्यादा मौके मिलने जा रहे हैं। एक राज्य से दूसरे राज्य में 50,000 रुपये से ज्यादा माल की आवाजाही पर पंजीकृत जीएसटी करदाता को ई-वे बिल की जरूरत होती है।
