दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी अब आधिकारिक रूप से मंदी की चपेट में आ गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था लगभग एक साल पहले ही मंदी की गिरफ्त में आ गई थी।
राष्ट्रीय आर्थिक अनुसंधान ब्यूरो की अर्थशास्त्रियों की समिति ने कहा है कि देश पिछले साल दिसंबर में ही मंदी में प्रवेश कर चुका था। मंदी की चपेट में आने के बारे में इस समिति के शब्द अंतिम माने जाते हैं।
कहा जाता है कि यह मंदी दूसरे विश्व युध्द के बाद की सबसे लंबी होगी। ब्यूरो की बिजनेस साइकिल डेटिंग कमेटी ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था दिसंबर 2007 में चरम पर थी।
लगातार दो तिमाहियों में नकारात्मक विकास दर वाली अर्थव्यवस्था को मंदी में माना जाता है, लेकिन समिति के मानक अलग हैं।
1930 की महामंदी की तुलना मौजूदा आर्थिक परिस्थिति से नहीं की जा सकती। 1930 के दशक के दौरान विश्वभर में मंदी थी, जो करीब 12 वर्ष तक रही।
उस दौरान बेरोजगारी की दर 25 फीसदी तक पहुंच गई थी। वास्तविक जीडीपी एक तिहाई घट गई थी। एक तिहाई बैंक विफल हो गए थे और शेयर बाजार 90 फीसदी तक लुढ़क गए थे।
9,200 कर्मचारियों की होगी छुट्टी
जेपी मॉर्गन चेज एंड कंपनी वॉशिंगटन म्यूचुअल में कुल 9,200 कर्मचारियों की छंटनी करेगी। अमेरिका के सबसे बड़े बैंक वाशिंगटन म्यूचुअल का जेपी मॉर्गन ने 25 सितंबर को अधिग्रहण किया था।