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डिजिटल भुगतान में तेजी, करेंसी नोटों का प्रसार घटा

Last Updated- December 12, 2022 | 1:46 AM IST

देश में डिजिटल माध्यम से भुगतान तेजी से बढ़ता जा रहा है। दूसरी लहर के बाद थमी अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज होने के बाद वित्तीय प्रणाली में कागजी मुद्रा का प्रसार कम हो गया है और डिजिटल माध्यम से भुगतान में तेजी देखी जा रही है। हालांकि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि लोगों के मन से आर्थिक अनिश्चितता का भय खत्म हो गया है इसलिए वे अब पहले की तरह नकदी जमा नहीं कर रहे हैं मगर फिलहाल जो रुझान दिख रहा है वह उत्साह बढ़ाने वाला है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार 13 अगस्त तक बाजार में मुद्रा उपलब्धता की दर पिछले साल 13 अगस्त के मुकाबले कम होकर 10 प्रतिशत रह गई है। पिछले वर्ष की समान अवधि में वित्तीय प्रणाली में मुद्रा प्रसार की दर 22.4 प्रतिशत थी।
यह काफी तेज गिरावट मानी जा सकती है क्योंकि अर्थव्यवस्था दूसरी लहर के प्रकोप से अब तक ठीक से नहीं उबर पाई है और तीसरी लहर आने का खतरा भी मंडरा रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि यह रुझान दो बातों की तरफ इशारा करता है। पहली बात, वित्तीय तंत्र में मुद्रा का प्रसार 29.6 लाख करोड़ रुपये के उच्च स्तर पर पहुंच गया है और अब यहां से इसमें बढ़ोतरी की गुंजाइश बहुत सीमित है।  

इसका एक मतलब यह भी निकाला जा सकता है कि वित्तीय तंत्र में मौजूद ज्यादातर मुद्रा औपचारिक माध्यमों से आ रही है। लोग अब डिजिटल माध्यम से भुगतान को अधिक तरजीह दे रहे हैं इसलिए वे बैंकों से नकदी निकालने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष कहते हैं, ‘कोविड-19 की दूसरी लहर से पैदा असंतुलन के बाद बैंकिंग प्रणाली में जमा रकम बढ़ रही है। दूसरी लहर के दौरान बैंकों में रकम जमा होने की दर शून्य से भी नीचे आ गई थी और वित्तीय तंत्र में मुद्रा का प्रसार बढ़ गया था।’

घोष ने कहा कि बैंकों में जमा रकम बढऩे से पता चल रहा है कि  पहले की तुलना में अब आर्थिक अनिश्चितता कम हो गई है और लोगों का मनोबल पहले से बढ़ गया है। हालांकि उन्होंने कहा कि अगर ऋण आवंटन की रफ्तार सुस्त रही तो बैंकों के लिए जमा रकम का अंबार संभालना मुश्किल हो सकता है।
अब नकदी पर लोगों की निर्भरता धीरे-धीरे कम हो रही है, खासकर खुदरा उपभोक्ता और बड़ी संख्या में दूसरे लोग डिजिटल माध्यम से अधिक भुगतान कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल माध्यम से भुगतान को नोटबंदी के मुकाबले कोरोना महामारी से ज्यादा बढ़ावा मिला है। विशेषज्ञों के अनुसार डिजिटल भुगतान अब थमने वाला नहीं है और इसकी लोकप्रियता बढ़ती ही जाएगी। कोविड महामारी के कारण डिजिटल भुगतान अपनाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। बकौल विशेषज्ञ, सामान्य परिस्थितियों में डिजिटल भुगतान को जोर पकडऩे में कम से कम 5 से 10 वर्षों का और समय लग जाता। महामारी की वजह से यह एक वर्ष में ही संभव हो गया।

First Published - August 20, 2021 | 1:29 AM IST

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