भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की 6 सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति ने आज सर्वसम्मति से लगातार दूसरी बार रीपो दर 25 आधार अंक घटाकर 6 फीसदी करने का फैसला किया। इसके साथ ही मौद्रिक नीति का रुख बदलकर उदार करने का भी निर्णय किया है जिससे आगे दर में और कटौती का संकेत मिलता है। मुद्रास्फीति के 2025 में 4 फीसदी के लक्ष्य से नीचे रहने की संभावना है जिससे केंद्रीय बैंक को वृद्धि को सहारा देने के लिए ध्यान केंद्रित करने में मदद मिली।
आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि शुल्क युद्ध से वैश्विक अनिश्चितताएं बढ़ रही हैं मगर भारत पर इसका प्रभाव बहुत कम होगा। उन्होंने कहा, ‘मुद्रास्फीति के परिदृश्य में काफी सुधार हुआ है। अनुमान के मुताबिक अगले 12 महीने में हेडलाइन मुद्रास्फीति के 4 फीसदी के लक्ष्य के दायरे में बने रहने को लेकर भरोसा बढ़ा है।’
मल्होत्रा ने कहा, ‘2024-25 की पहली छमाही में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भी वृद्धि दर सुधार की राह पर है। चुनौतीपूर्ण वैश्विक आर्थिक हालात में वृद्धि को सहारा देना समय की मांग है।’ केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि अनुमान को घटाकर कर 6.5 फीसदी कर दिया है। फरवरी में 6.7 फीसदी वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया था। मुद्रास्फीति अनुमान को भी 4.2 फीसदी से घटाकर 4 फीसदी कर दिया है।
एचडीएफसी बैंक की प्रधान अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा, ‘यदि वैश्विक तनाव बढ़ता रहा तो हमें इन अनुमान में और कटौती का जोखिम दिखाई देता है। हम उम्मीद करते हैं कि वित्त वर्ष 2026 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.3 फीसदी रहेगी, बशर्ते कि द्विपक्षीय वार्ता सफल रहे और अमेरिकी शुल्क में कुछ कटौती हो।’ गुप्ता ने कहा, ‘बैंकिंग तंत्र में नकदी की स्थिति सुधर रही है और चालू तिमाही में इसके औसत से अधिक रहने की उम्मीद है। ऐसे में रीपो दर में कटौती का असर ऋण और जमा दोनों में दिखने की संभावना है।’
नोमूरा ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘हमारा लंबे समय से मानना रहा है कि दर कटौती का चक्र उथला नहीं है। उसने रीपो दर के अनुमान को 5.5 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है।
मल्होत्रा ने कहा कि मौद्रिक नीति के रुख में बदलाव को सीधे तौर पर तरलता की स्थिति के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। हालांकि उन्होंने कहा कि तरलता प्रबंधन महत्त्वपूर्ण है और आरबीआई तंत्र में पर्याप्त नकदी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘मौद्रिक नीति के रुख को ‘तटस्थ’ से ‘उदार’ करने का मतलब है कि आगे अगर कोई झटका नहीं लगता है तो मौद्रिक नीति समिति केवल दो विकल्प पर विचार करेगी- यथास्थिति या दर में कटौती।’
रीपो में कटौती के बाद इंडियन बैंक ने 11 अप्रैल से रीपो से जुड़ी बेंचमार्क उधारी दर को 9.05 फीसदी से घटाकर 8.70 फीसदी करने की घोषणा की। उम्मीद है कि अन्य बैंक भी ऐसा ही करेंगे।