रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक एकबारगी कर्ज पुनर्गठन से छोटी कंपनियों व खुदरा कर्ज लेने वालों को 3 लाख करोड़ रुपये की राहत मिलेगी और बैंक भी इस वित्त वर्ष में एनपीए के दबाव को कम कर सकेंगे।
भारतीय रिजर्व बैंक ने दबाव वाली संपत्तियों के समाधान पर जून 2019 के विवेकपूर्ण ढांचे के तहत रिजर्व बैंक ने कॉर्पोरेट कर्ज के लिए राहत की अनुमति दी है। इससे ज्यादातर श्रेणियों के कर्ज लेने वालों को लाभ मिलेगा।
क्रिसिल ने एक बयान में कहा है कि कर्ज पुनर्गठन को लेकर रिजर्व बैंक द्वारा उठाए गए कदम से कोविड-19 महामारी के कारण बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता पर पडऩे वाले असर को कम करने में मदद मिलेगी। क्रिसिल ने कहा है कि इसके बगैर मार्च 2021 तक सकल गैर निष्पादित संपत्तियां (एनपीए) बढ़कर दो दशक के उच्च स्तर 11.5 प्रतिशत पर पहुंच सकती थींं, लेकिन अब इस स्तर से बहुत कम रहने की संभावना है।
दरअसल पहली बाद पुनर्गठन के विकल्प का विस्तार खुदरा उधारी लेने वालों तक किया गया है, जिससे उन लोगों को राहत मिलेगी, जिनका वेतन घट गया है या नौकरी चली गई है।
इसके बड़े लाभार्थी 500 करोड़ रुपये तक कॉर्पोरेट और कुदरा कारोबार करने वाले होंगे, जिनके एनपीए में प्रतिशत के हिसाब से सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही थी। इन क्षेत्रों के कर्ज के एनपीए मेंं बदलने की संभावना थी, जो करीब 3 लाख करोड़ रुपये है।
अध्ययन में 14,000 कंपनियों को शामिल किया गया है, जिनकी हिस्सेदारी बैंकों के कुल कॉर्पोरेट पोर्टफोलियो में 75 प्रतिशत है। इससे पता चलता है कि 500 करोड़ रुपये से कम कर्ज वाले कॉर्पोरेट कर्ज खाते में कुल 2 लाख करोड़ रुपये है।
इसके अलावा खुदरा क्षेत्र पर बहुत दबाव है। वेतनभोगी और स्वरोजगार करने वाले कर्जदारों को समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। आवास ऋण पर जोखिम कम है क्योंकि भारतीयों का मकान को लेकर मनोवैज्ञानिक जुड़ाव होता है, जहां वे रहते हैं। साथ ही कर्ज लेने वालों के भुगतान की प्राथमिकता में आवास ऋण शामिल होता है। एजेंसी ने कहा है कि खुदरा क्षेत्र में जोखिम पर कुल ऋण 1 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
क्रिसिल रेटिंग के सीनियर डायरेक्टर कृष्णन सीतारमण ने कहा कि कॉर्पोरेट सेग्मेंट में आज पहले की संपत्ति गुणवत्ता के दबाव चक्र से स्थिति अलग है, जो एक साल पहले शुरू हुआ था।