भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में भले ही सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर उम्मीद से कम रही है, लेकिन भारत की आर्थिक वृद्धि में निरंतरता बनी हुई है। उन्होंने कहा कि खपत व निवेश बढ़ रहा है और 2024-25 के लिए आरबीआई का 7.2 फीसदी का जीडीपी वृद्धि अनुमान असंगत नहीं लगता।
दास ने कहा कि कि नीतिगत दर पर फैसले करने वाली मौद्रिक नीति समिति के नए सदस्यों की नियुक्ति समय पर हो जाएगी। मुंबई में फिक्की और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम ( एफआईबीएसी 2024 ) के दौरान अलग से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, ‘मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के नए सदस्य नियुक्त किए जाने हैं।
इसके बाद ही हम बैठक कर सकते हैं। इसलिए यह होना ही है। हम उम्मीद करते हैं कि नए सदस्यों की नियुक्ति वक्त पर हो जाएगी।’उन्होंने कहा कि महंगाई दर और वृद्धि के बीच संतुलन बेहतर है। दास ने कहा, ‘मॉनसून की प्रगति बेहतर है और खरीफ की बोआई बेहतर फसल की उम्मीद जगा रही है। ऐसे में बहुत उम्मीद है कि खाद्य महंगाई दर कम होगी।’
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक को नजर रखनी होगी कि महंगाई दर पर असर डालने वाली ताकतें किस तरीके से काम करती है। उन्होंने कहा, ‘हमें अवस्फीति के आखिरी पड़ाव को सफलता से पार करना होगा तथा लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (एफआईटी) ढांचे की विश्वसनीयता बनाए रखनी होगी, जो एक प्रमुख ढांचागत सुधार है। बेहतरीन योगदान यह होगा कि मौद्रिक नीति सतत वृद्धि को बनाए रखे जिससे मूल्य की स्थिरता बरकरार रहे।’
दास ने इस कार्यक्रम में कहा कि भारत वृद्धि की राह पर सतत रूप से बना हुआ है। उन्होंने कहा कि जीडीपी के आंकड़े उम्मीद से कम रहे हैं, क्योंकि राज्यों व केंद्र का खर्च रुका हुआ था। संभवतः लोक सभा चुनाव के कारण ऐसा हुआ। सरकार के खपत व्यय को परे रख दें तो जीडीपी वृद्धि 7.4 फीसदी होगी। अप्रैल-जून तिमाही के दौरान पिछले साल की समान अवधि की तुलना में वृद्धि दर 6.7 फीसदी रही है, जो उम्मीद से कम है।
उन्होंने कहा, ‘वृद्धि के दो प्रमुख चालक खपत और निवेश की मांग बढ़ रही है। बजट अनुमानों के अनुरूप ही आने वाली तिमाहियों में केंद्र व राज्यों का व्यय बढ़ेगा।’ दास का कहना है कि उच्च घरेलू खपत अर्थव्यवस्था को बाहरी अनिश्चितताओं से बचाएगी। उन्होंने कहा, ‘अर्थव्यवस्था की टिकाऊ वृद्धि में निवेश महत्त्वपूर्ण है और मौजूदा अनुकूल वजहों को देखते हुए यह सही वक्त है कि निजी क्षेत्र व्यापक रूप से इस दिशा में आगे आए।’
गवर्नर ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और ‘इन्सॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड’ (आईबीसी) जैसे सुधारों से दीर्घकालिक सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने भूमि, श्रम तथा कृषि बाजारों में और अधिक सुधारों की आवश्यकता पर भी जोर दिया। वित्तीय क्षेत्र को समावेशी वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल मंच तक पहुंच बढ़ानी चाहिए और उनका इस्तेमाल करना चाहिए।