केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव को शुक्रवार को पत्र लिखकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) को छोड़कर दस केंद्रीय ट्रेड यूनियन ने केंद्र सरकार से चार श्रम संहिताओं को खत्म करने का अनुरोध किया है। उनका कहना है कि मौजूदा कानून उनके निहित अधिकारों और सुरक्षात्मक प्रावधानों को कम करते हैं।
पत्र में लिखा है, ‘श्रम संहिताएं श्रमिकों पर अधिक अपमानजनक काम करने की स्थिति लागू करती हैं और लगभग खुले तौर पर सरकारों और नियोक्ताओं को श्रम अधिकारों और लाभों को मनमाने ढंग से कम करने के लिए सशक्त बनाती हैं। कुछ राज्य सरकारों द्वारा श्रम कानूनों के निलंबन से भी कोई आर्थिक लाभ नहीं दिखा है।’
इसके अलावा, केंद्रीय यूनियनों ने सरकार से त्रिपक्षीय भारतीय श्रम सम्मेलन (आईएलसी) को जल्द से जल्द बुलाने का भी आग्रह किया। जिसमें सरकार के प्रतिनिधि, नियोक्ता और कर्मचारी शामिल थे, क्योंकि अंतिम बार आईएलसी यानी फोरम का 46वां सत्र जुलाई 2015 में आयोजित किया गया था।
पत्र में कहा गया है, ‘पिछले सात वर्षों के दौरान आईएलसी आयोजित नहीं किया गया है। हालांकि सरकार के लिए हर साल कम से कम एक बार इसे आयोजित करना बाध्यकारी है। हम आपसे आग्रह करते हैं कि जल्द से जल्द इसका आयोजन हो।’