गैस के उत्पादन पर सात साल के लिए आयकर में राहत हटाने का नई एक्सप्लोरेशन और लाइसेंसिंग नीति (नेल्प-6) के तहत तेल और गैस ब्लॉक की बोली लगाने पर मामूली असर पड़ेगा। उद्योग जगत के अधिकारियों का कहना है कि अगर इस कर छूट को खत्म भी कर दिया जाए तो गैस का उत्पादन लाभ वाला क्षेत्र बना रहेगा।
तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के एक आला अधिकारी का कहना है, ‘तेल और गैस क्षेत्र में अन्वेषण और उत्पादन का काम फायदेमंद व्यवसाय बना रहेगा।’
ओएनजीसी देश की सबसे बड़ी अन्वेषण और उत्पादन कंपनी है, जिसे छूट का लाभ मिलने जा रहा है। सरकार ने 57 तेल और गैस अन्वेषण ब्लाक्स के लिए पिछले साल अप्रैल में नेल्प-6 के तहत ऑफर दिया था। यह भी उम्मीद की जा रही है कि इस योजना के तहत विदेशी कंपनियां भी इस क्षेत्र में बोली के लिए आकर्षित होंगी।
ब्रिटिश गैस और इटली की ईएनआई के अलावा अन्य बड़ी कंपनियों ने पहले के नेल्प नीति की बोलियों में रुचि नहीं लिया। फाइनैंस बिल में उद्धृत कर राहत को वापस लिया जाना और वित्त बिल का एक्सप्लेनेटरी मेमोरेंडम, बजट-2007-08 का हिस्सा है।
इसमें कंपनियों पर दबाव बनाया गया है कि वे सीमांत क्षेत्रों की बजाय बड़े भंडार क्षेत्रों को खोजें। सीमांत क्षेत्र यह है जहां तेल और गैस के भंडार कम हैं और निवेश की वापसी ज्यादा नहीं है। बड़ी तेल कंपनियां ऐसे क्षेत्रों का काम छोटी कंपनियों को दे देती हैं और उनसे लाभ का एक हिस्सा ले लेती हैं। ओएनजीसी के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि अब बड़े भंडारों को भी सीमांत क्षेत्र में डाल दिया गया है। इस नीति पर वह पेट्रोलियम मंत्रालय से पहले ही स्पष्टीकरण मांग चुके हैं।
सात साल की कर राहत नेल्प के करार के नियमों के अंतर्गत नहीं है। कर राहत का आश्वासन पेट्रोलियम मंत्रालय ने दिया था। यह विभाग ही नेल्प की नीतियों के बारे में पूरी दुनिया के निवेशकों को जानकारी देता है।
उद्योग जगत के कु छ अधिकारियों का मानना है कि कर में छूट को हटाए जाने को न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। उनका कहना है कि कर लाभ को खत्म किया जाना नेल्प नीति के समझौतों के विरुध्द जा सकता है। तेल कंपनी के ही एक अन्य अधिकारी का कहना है, ‘सरकार ने कांट्रैक्ट के तहत वित्तीय स्थायित्व का आश्वासन दिया था। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार को ऐसा कोई भी परिवर्तन नहीं करना चाहिए, जिससे आपरेटरों को असुविधा हो।’
ओएनजीसी जैसी बड़ी तेल कंपनियों ने पहले ही कर राहत खत्म किए जाने पर पेट्रोलियम मंत्रालय से स्पष्टीकरण मांगा है। तेल और गैस कंपनियों को राय देने वाले दिल्ली के एक विशेषज्ञ का कहना है, ‘यह बहुत दुखद होगा कि सरकार अपने कर में राहत दिए जाने के वायदे के खिलाफ काम करे । यही तेल और गैस के उत्पादन के लिए बड़ा आकर्षण है।’