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और रकम सोखेंगे रेड्डी, कर्ज होगा महंगा

Last Updated- December 07, 2022 | 2:03 PM IST

महंगाई दर के दबाव में भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को तिमाही मौद्रिक नीति की समीक्षा की है। इसके तहत बाजार से 8,000 करोड़ रुपये को सोखने के लिए कुछ कड़े कदम उठाने की घोषणा की है।


इसमें नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) और रेपो रेट में बढ़ोतरी भी शामिल है। शीर्ष बैंक ने सीआरआर 0.25 फीसदी बढ़ाकर 9 फीसदी और अल्पकालिक ऋण दर (रेपो रेट) 0.50 फीसदी बढ़ाकर 9 फीसदी कर दिया है। मुद्रास्फीति को मार्च 2009 तक घटाकर 7 फीसदी पर लाने के मद्देनजर केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के दौरान सीआरआर में चौथी बार और रेपो रेट में तीसरी बार बढ़ोतरी की है।

आरबीआई की ओर से उठाए गए इन कदमों से व्यावसायिक, आवास, व्यक्तिगत और कार लोन में बढ़ोतरी होने की संभावना है। आरबीआई ने अर्थव्यवस्था की विकास दर का पूर्वानुमान 8.5 फीसदी से कम कर 8 फीसदी कर दिया है। नई मौद्रिक नीति से उद्योग जगत को निश्चित रूप से निराशा होगी, जिसने आरबीआई से अपील की थी कि ऐसे कदम न उठाए जाएं, जिससे लोन महंगे हो जाएं।

इस साल अप्रैल से जारी आरबीआई की सख्त नीति ने 50,000 करोड़ रुपये की तरलता कम की थी और नई नीति से बाजार से तरलता और कम होगी। केंद्रीय बैंक ने अनुमान जाहिर किया है कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी जारी रहेगी, जिससे अर्थव्यवस्था पर दबाव जारी रहेगा।

वैश्विक जिंस बाजारों पर दबाव के अलावा, अर्थव्यवस्था को उच्चतर सब्सिडी, ऋणमाफी और छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद  कर्मचारियों के बढ़े हुए वेतन का भी भार वहन करना पड़ेगा। आरबीआई गवर्नर वाई.वी. रेड्डी ने कहा कि बढ़ोतरी से मुद्रास्फीति में कमी आएगी, जो 11.89 फीसदी पर है। बढ़ोतरी बैंकों के लिए संकेत है कि ऋण में उदारता न बरतें।

राजकोषीय घाटे पर भी दी चेतावनी

आरबीआई ने बजटेतर देनदारियां, कर्ज माफी, सब्सिडी खर्च बढ़ने और छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के संभावित कार्यान्वयन के कारण गिरती राजकोषीय स्थिति को लेकर सरकार को आगाह किया है। रिजर्व बैंक ने अपनी तिमाही मौद्रिक समीक्षा में कहा कि राजकोषीय स्थिति पर दबाव बना हुआ है। बजटेतर देनदारियां बढ़ने और सब्सिडी पर बढ़ते व्यय के अलावा कर्ज माफी तथा संभावित वेतन बढ़ोतरी से राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है। इस पर निगरानी की आवश्यकता है, क्योंकि इसका असर मुद्रास्फीति पर भी असर होगा।

बैंकों पर शिकंजा

कुछ बैंकों द्वारा फंड के स्रोतों की तुलना में अधिक लोन देने की पर चिंता व्यक्त करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने आगाह किया कि वह ऐसे बैंकों की समीक्षा शुरू कर सकता है। मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा में आरबीआई ने कहा कि कुछ बैंकों ने लोन का विस्तार तेजी से किया है। इससे उनकी जमा और लोन के अनुपात में असमानता आई है। आरबीआई ने सभी बैंकों से आग्रह किया कि वे अपनी कारोबारी रणनीति की समीक्षा करें, ताकि वे परिचालन में मुनाफे के साथ लंबी अवधि तक मुनाफा कमा सकें।

रेपो दर 0.5 फीसदी बढ़कर 9 फीसदी
सीआरआर 0.25 फीसदी बढ़कर 9 फीसदी
30 अगस्त से प्रभावी होगी बढ़ी दरें
रिवर्स रेपो और बैंक दर में कोई बदलाव नहीं
आरबीआई ने जीडीपी विकास दर अनुमान को 8. 5 फीसदी से घटाकर 8 फीसदी किया
मार्च 2009 तक मुद्रास्फीति की दर 7 फीसदी लाने की योजना
इससे पहले मार्च 2009 तक मुद्रास्फीति की दर 5 फीसदी करने का लक्ष्य रखा गया था
मध्यम अवधि में मुद्रास्फीति की दर घटाकर 3 फीसदी करने की कोशिश
बाजार में नकदी की तरलता को काबू में करना होगी प्राथमिकता
मूल्य स्थिरता और वित्तीय बाजार में सुव्यवस्था को प्राथमिकता
आरबीआई ने बैंकों से अपनी रणनीति की समीक्षा करने की अपील की है
आरबीआई उन चुनिंदा बैंकों की पर्यवेक्षण संबंधी समीक्षा पर विचार करेगा, जो ऋण पोर्टफोलियो का अति विस्तार करते हैं
आरबीआई ने बैंकों से कहा कि क्षेत्र विशेष के आधार पर सख्ती से ऋण निर्धारण पर ध्यान केंद्रित करें

First Published - July 30, 2008 | 12:12 AM IST

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