भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रिजर्व बैंक ने बाहरी संपत्ति प्रबंधकों को प्रबंधन के लिए अपने विदेशी मुद्रा भंडार की एक छोटी राशि की पेशकश की है। हालांकि उन्होंने यह साफ किया कि यह भंडार के प्रबंधन की रणनीति में बदलाव नहीं, बल्कि अनुभव हासिल करने के लिए किया गया है।
दास ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘रिजर्व बैंक अपने भंडार का प्रबंधन खुद करना जारी रखेगा। यह एक प्रयोग है, जिससे हम सीखना चाहते हैं कि वे किस तरह काम करते हैं। यह बहुत छोटी सी राशि है, जिसकी पेशकश उन्हें हम कर रहे हैं। हम बाहरी संपत्ति प्रबंधकों के साथ रूबरू होकर सीखना चाहते हैं और इससे हमें अपनी आंतरिक क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी।’
अक्टूबर 2021 में सेंट्रल बैंकिंग ने रिजर्व बेंचमार्क का हवाला देते हुए कहा था कि कई केंद्रीय बैंकों ने बताया है कि वे अपने रिजर्व पोर्टफोलियो पर बाहरी प्रबंधकों के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार के प्रबंधन की बात आती है तो 3 प्राथमिकताओं का ध्यान रखा जाता है, जिसमें पहली सुरक्षा, दूसरी नकदी की स्थिति और तीसरी प्राथमिकता मुनाफा है।
दास ने कहा कि 2013 के दौरान ‘टेपर टैंट्रम’ से मिले अनुभव से बचने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का निर्माण एक सचेत रणनीति थी। उन्होंने कहा, ‘हम वह स्थिति दोबारा दोहराना नहीं चाहते हैं। उसके लिए हमें भंडार बनाने की जरूरत थी, जो मजबूत होना चाहिए। इसलिए एक सचेत रणनीति के रूप में जब प्रवाह बेहतर था, हमने अपना भंडार बनाना शुरू किया और हम करीब 642 अरब डॉलर के शीर्ष स्तर पर पहुंच गए। वास्तव में इससे हमें मदद मिली। निवेशकों और कारोबारी समुदाय को बहुत आत्मविश्वास आया कि देश अपनी सभी बाहरी देनदारियों को चुकाने में सक्षम होगा।’
ताजा आंकड़ों के मुताबिक 16 जून, 2023 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 596 अरब डॉलर था। केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) के बारे में दास ने कहा कि सीबीडीसी भविष्य की मुद्रा होने जा रही है और रिजर्व बैंक इसकी तैयारी कर रहा है।
रिजर्व बैंक ने पिछले साल नवंबर में सीबीडीसी होलसेल पर एक प्रायोगिक परियोजना शुरू की थी और खुदरा के लिए दिसंबर 2023 में प्रायोगिक परियोजना लाई गई थी। दास ने कहा, ‘इस महीने के आखिर तक हम उम्मीद करते हैं कि खुदरा सीबीडीसी के यूजर्स की संख्या करीब 10 लाख हो जाएगी। यह घरेलू भुगतान के लिए होगा।’
दास ने कहा कि सीमा पार भुगतान भी ज्यादा तेज, ज्यादा बाधारहित और बहुत ज्यादा लागत के अनुकूल बनेगा और रिजर्व बैंक अन्य केंद्रीय बैंकों के साथ नियमित रूप से बात कर रहा है, जिन्होंने सीबीडीसी पेश किया है, या पेश करने जा रहे हैं। दास ने कहा, ‘यह भविष्य बनने जा रहा है।’
गवर्नर ने कुछ सरकारी बैंकों के निजीकरण के बारे में भी बताया, जिनमें से एक के निजीकरण की प्रक्रिया पहले ही चल रही है। दास ने कहा कि निजीकरण की प्रक्रिया प्राथमिक रूप से सरकार चला रही है, जिसमें रिजर्व बैंक का हस्तक्षेप नए निवेशकों के लिए नियामकीय मंजूरी देने तक सीमित है।
दास ने कहा कि मौजूदा महंगाई का लक्ष्य थोड़ा तेज है और लक्ष्य में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘पिछले 2 या 3 साल के अनुभवों के बाद अब नीति में बदलाव में कोई भी व्यक्ति जल्दबाजी नहीं कर सकता है।’
सरकार के साथ संबंध के मसले पर दास ने जोर दिया कि लगातार संवाद बनाए बनाए रखने की जरूरत है और मतभेद होंगे ही। बहरहाल संवाद का मतलब यह नहीं है कि स्वायत्तता के साथ कोई समझौता किया जाए।
उन्होंने कहा, ‘किसी भी देश में और किसी भी परिस्थिति में केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच संबंधों में एक दूसरे पर निर्भरता होती है। इसलिए संबंध में सतत संवाद होना चाहिए। लेकिन संवाद का मतलब स्वायत्तता के साथ समझौता नहीं है। आखिर में आपको फैसला करना होता है कि आप क्या करना चाहते हैं। लेकिन यह उपयोगी है कि एक दूसरे की चिंता साझा की जाए।’