भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा विनिमय के जोखिमों से बचाव के ढांचे को उल्लेखनीय रूप से मजबूत किया है। मौद्रिक नीति संबंधी बयान में दास ने कहा कि रिजर्व बैंक समग्र दिशानिर्देश जारी करने वाला है, जिसमें सभी तरह के लेन-देन के लिए समेकित दिशानिर्देश होंगे।
बाजार से जुड़े हिस्सेदारों ने कहा कि हाल की प्रगति अनिवार्य दिशानिर्देश से कहीं अधिक एक दिशात्मक मार्गदर्शन है। यह बताता है कि रुपये पर तत्काल कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इससे बैंकों को अपनी आंतरिक नीतियों की समीक्षा करने और उसके मुताबिक समायोजन करने की सुविधा मिलती है। इसके साथ ही बैंक ग्राहकों को उनके निवेश की हेजिंग से जुड़ी सलाहकार सेवाएं प्रदान कर सकते हैं और इस मार्गदर्शन का लाभ उठाकर अपनी व्यक्तिगत जरूरतों के मुताबिक रणनीति तैयार कर सकते हैं।
सीआर फॉरेक्स में प्रबंध निदेशक अमित पाबरी ने कहा, ‘कम अवधि के हिसाब से इसका रुपये पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि यह कोई नियम नहीं है कि किसी एक निश्चित राशि की हेजिंग की जाएगी, बल्कि यह सिर्फ दिशात्मक मार्गदर्शन है।’
विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव लेनदेन के लिए विनियामक ढांचा शोधन और समेकन की प्रक्रिया से गुजरा है। इसमें तरह तरह के लेन देन को मास्टर प्लान दिशानिर्देशों के तहत एकीकृत किया गया है। यह पहल बाजार में हुई प्रगति और सहभागियों के फीडबैक केआधार पर की गई है और 2020 की पिछली समीक्षा के बाद से इसमें उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
इस नए ढांचे के तहत ओवर द काउंटर और एक्सचेंज ट्रेडेड लेनदेन दोनों को एक दिशानिर्देशों के तहत लाया जाएगा। इसका मकद परिचालन संबंधी कुशलता में सुधार करना और विदेशी मुद्रा विनिमय डेरिवेटिव्स की पहुंच को सरल बनाना है। रिजर्व बैंक के मुताबिक इससे खासकर छोटे कारोबार करने वालों को लाभ होगा।
शिनहान बैंक के वाइस प्रेसीडेंट कुणाल सोधानी ने कहा, ‘अगले सप्ताह अंतिम सर्कुलर जारी होने के बाद ही साफ तस्वीर सामने आ सकेगी।’
गवर्नर दास ने इस पहल की क्षमता पर जोर दिया, जिससे विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव बाजार मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि इससे उपभोक्ताओं की पहुंच और परिचालन कुशलता में सुधार होगा। मास्टर दिशानिर्देश जारी होने से स्पष्टता आने और नियामक ढांचे में मजबूती आने का अनुमान है, जिससे बाजार में फॉरेक्स डेरिवेटिव लेनदेन और प्रभावशाली और उन्नत तरीके से हो सकेगा।
दास ने कहा, ‘इस ढांचे से परिचालन कुशलता भी दुरुस्त होगी और फॉरेन एक्सटचेंज डेरिवेटिव्स की पहुंच आसान होगी और खासकर छोटे कारोबार करने वालों को सहूलियत होगी। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि आवश्यक जोखिम प्रबंधन की विशेषता वाले ग्राहकों को अपने जोखिम के कुशलतापूर्वक प्रबंधन की सुविधा मिल सकेगी। मास्टर दिशानिर्देश अलग से जारी किया जाएगा।’