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50 आधार अंकों की कटौती से RBI ने दिया ग्रोथ को बूस्ट, रीपो रेट 5.5% पर लाया गया

आरबीआई ने रीपो रेट में 50 आधार अंक की कटौती कर उसे 5.5% किया, जिससे कम उधारी लागत के जरिए निवेश और खपत को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है।

Last Updated- June 20, 2025 | 10:01 PM IST
Reserve Bank of India Offline Digital Rupee
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्यों ने कहा कि जून की बैठक के दौरान रीपो रेट में 50 आधार अंक की बड़ी कटौती का उद्देश्य तेजी से बदलाव लाना और ऐसे समय में आर्थिक विकास को बढ़ावा देना था जब मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण अनुकूल बना हुआ है। आरबीआई द्वारा आज जारी किए गए मौद्रिक नीति के विवरण में यह कहा गया है।

छह सदस्यीय दर निर्धारण समिति ने 50 आधार अंक की दर कटौती कर 5.5 प्रतिशत पर लाने के पक्ष में 5:1 से मतदान किया। सभी सदस्यों ने उदार से तटस्थ में बदलाव का समर्थन किया।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने विकास समर्थक नीतियों की जरूरत पर जोर दिया, क्योंकि बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताएं व्यवसायों को अपने निवेश निर्णयों को रोकने के लिए बाध्य कर सकती हैं। उन्होंने इस पर भी प्रकाश डाला कि ऊंचे क्षमता इस्तेमाल और बेहतर कॉरपोरेट बैलेंस शीट के बावजूद निजी क्षेत्र का निवेश कमजोर बना हुआ है। उन्होंने कहा, ‘हालांकि वृद्धि की रफ्तार मजबूत बनी हुई है, लेकिन यह हमारी उम्मीदों से कम है।’ मुद्रास्फीति के संबंध में उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति का अनुमान अप्रैल में पिछली बैठक में अनुमानित की तुलना में अधिक अनुकूल दिख रहा है।

मल्होत्रा ने 50 आधार अंक की दर कटौती के लिए मतदान करने का कारण बताते हुए कहा, ‘यह उम्मीद की जाती है कि तरलता के मोर्चे पर निश्चितता के साथ फ्रंट-लोडेड दर का कदम आर्थिक एजेंटों को एक स्पष्ट संकेत भेजेगा, जिससे कम उधारी लागत के माध्यम से खपत और निवेश को समर्थन मिलेगा।’

डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता ने कहा कि हालांकि भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, लेकिन अनुकूल जनसांख्यिकी, नियामकीय नीतियों में अनुकूल बदलाव, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचागत वृद्धि और पिछले दशक के दौरान हासिल की गई व्यापक आर्थिक मजबूती का लाभ उठाकर आर्थिक विकास दर को और तेज किया जा सकता है।

First Published - June 20, 2025 | 9:46 PM IST

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