RBI MPC Meet: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज कहा कि मौद्रिक नीति का समायोजन को वापस लेने वाला रुख ब्याज दरों के लिहाज से है और इसे मुद्रास्फीति के चार फीसदी स्तर से ऊपर रहने के साथ-साथ दरों में बदलावत का असर अभी पूरी तरह से न दिखने के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।
दास ने कहा कि इसे मुद्रास्फीति को स्थायी आधार पर लक्ष्य तक वापस लाने के हमारे प्रयासों के संदर्भ में भी देखा जाना चाहिए। दास ने तरलता यानी नकदी की स्थिति के बारे में बताया और इसके लिए उन बाहरी कारकों को जिम्मेदार ठहराया, जिनके निकट भविष्य में सुधार की उम्मीद है और जिन पर केंद्रीय बैंक द्वारा बाजार के हस्तक्षेप का असर हुआ है।
उन्होंने इस बात का आश्वासन दिया कि रिजर्व बैंक अपने तरलता प्रबंधन में तत्पर और लचीला बना हुआ है। वह रीपो और रिवर्स रीपो दोनों ही परिचालनों को नियोजित करता है। उन्होंने कहा कि आरबीआई अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह की तरलता को विनियमित करने के लिए उपायों के विवेकपूर्ण संयोजन का इस्तेमाल करेगा। वह यह सुनिश्चित करेगा कि वित्तीय स्थिरता कायम रखते हुए मुद्रा बाजार की ब्याज दरें व्यवस्थित रूप से विकसित हों।
नोमुरा के इंडिया इकॉनमिस्ट औरोदीप नंदी ने कहा ‘तरलता के संबंध में आरबीआई के गवर्नर ने मौद्रिक नीति समन्वय को बाधित करने के बजाय प्रतिरोधात्मक और टिकाऊ तरलता दोनों पर ध्यान देने के लिए आरबीआई की तत्परता को व्यक्त करना पसंद किया है। इस तरह तरलता को रुख से अलग किया जा रहा है।’
दास ने स्पष्ट किया था कि आरबीआई तरलता को ओवरनाइट कॉल दर के स्तर पर रखने का प्रयास करेगा, जिससे मौद्रिक नीति का परिचालन लक्ष्य रीपो दर के आसपास रहे।
एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने कहा कि तरलता के संबंध में केंद्रीय बैंक यह सुझाव देता हुआ लग रहा है कि तरलता घाटा मोटे तौर पर प्रतिरोधात्मक था तथा स्थायी तरलता और ज्यादा सहज बनी हुई थी। इसने किसी भी नए उपाय की घोषणा नहीं की और कहा कि वह परिवर्तनीय दर रीपो और रिवर्स रीपो ऑक्शन जैसे साधानों सहित अपने सटीक परिचालन के जरिये तरलता का प्रबंधन करना जारी रखेगा।
आरबीआई द्वारा संचालित की जाने वाली वेरिएबल रेट ऑक्शन का हवाला देते हुए बाजार मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के रुख में बदलाव की उम्मीद कर रहा था। मौद्रिक नीति समिति के फैसले से पहले बाजार के भागीदारों ने अनुमान लगाया था कि आरबीआई द्वारा तरलता के निरंतर प्रवाह से विदड्रॉल ऑफ एकोमोडेशन के मौजूदा रुख से तटस्थ रुख की ओर बदलाव हो सकता है।
सीएसबी बैंक के समूह प्रमुख (ट्रेजरी) आलोक सिंह ने कहा कि तरलता पर आरबीआई का संतुलित रुख अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है। मुद्रास्फीति पर प्राप्त लाभ को नहीं छोड़ना समझदारी है, इसलिए अधिशेष के किसी भी विस्तार से बचा जाना चाहिए। अगले वर्ष 4.5 प्रतिशत मुद्रास्फीति का अनुमान रूढ़िवादी हो सकता है और अगले साल की दूसरी तिमाही के बाद हम रुख में कुछ बदलाव देख सकते हैं। आरबीआई पहले तरलता को आसान बनाने पर विचार करेगा और फिर जरूरत पड़ने पर दरों में कटौती का सहारा लेगा।