भारतीय रिजर्व बैंक ने स्व-नियामक संगठनों (एसआरओ) से कहा है कि वे विनियमित इकाइयों में अनुपालन की संस्कृति को बढ़ावा दें। साथ ही, इस सेक्टर में छोटी इकाइयों पर विशेष ध्यान दिया जाए। विनियमित संस्थाओं (आरई) के लिए ऐसे संगठनों को मान्यता देने के लिए बने अंतिम व्यापक ढांचे में ये बातें कही गई हैं।
एसआरओ के लिए उद्देश्य तय करते हुए ढांचे में कहा गया है, ‘इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास की संस्कृति को प्रोत्साहित करें ताकि नवाचार को बढ़ावा मिल सके और अनुपालन एवं स्व-शासन के उच्च मानक का पालन होना सुनिश्चित हो सके।’
रिजर्व बैंक ने कहा कि एसआरओ से यह आशा की जाती है कि वे अपने स्वहित से परे होकर काम करें और समूचे उद्योग तथा वित्तीय तंत्र के व्यापक चिंताओं का समाधान करें। रिजर्व बैंक ने कहा, ‘उद्योग जगत के प्रतिनिधि के रूप में काम करते हुए एसआरओ से यह आशा की जाती है कि वे सभी सदस्यों के साथ न्यायसंगत और पारदर्शी व्यवहार सुनिश्चित करें।’
एसआरओ के लिए यह निर्देश है कि वे एक आचार संहिता बनाएं जिसका सभी सदस्य पालन करें और वे अपने सदस्यों को नियामक निर्देश देने के साथ ही इस संहिता के पालन की निगरानी करें। एसआरओ को एक समान, तार्किक और गैर-भेदभावपूर्ण सदस्यता शुल्क वाला ढांचा विकसित करना होगा।
एसआरओ से यह भी कहा गया है कि वे अपने सदस्यों के लिए शिकायत एवं विवाद समाधान, मध्यस्थता का ढांचा तैयार करें तथा ऐसे प्रतिबंधात्मक, अस्वास्थ्यकर और अन्य दस्तूर के बारे में परामर्श दें जो कि इस क्षेत्र के विकास के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
एसआरओ की नियामक के प्रति क्या जवाबदेही है, इस बारे में रिजर्व इस प्रकार की इकाई से यह उम्मीद की जाती है कि वह केंद्रीय बैंक के सहायक के रूप में नियामक निर्देशों के बेहतर अनुपालन, पूरे क्षेत्र के विकास, सभी हितधारकों के हितों के संरक्षण, नवाचार को तेज करने और प्रारंभिक चेतावनी के संकेतों का पता लगाने के बारे में काम करे।