उम्मीद की किरण तो किसी भी कोने से आ सकती है। अब मंदी को ही लीजिए, दुनिया भर के हुक्मरान और उद्योगपति मंदी से बचने के लिए लागत घटा रहे हैं और कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं,
लेकिन उत्तर प्रदेश के छोटे शहरों में रोजगार के नए मौके सामने आ रहे हैं। हैरानी की बात है कि उत्तर प्रदेश के तमाम अच्छे संस्थानों में कैंपस प्लेसमेंट के जरिये ढेरों नौकरियां सामने आ रही हैं।
नौकरी के मौके हासिल करने वालों में प्रबंधन के छात्र ही नहीं हैं, सामान्य स्नातकों को भी कैंपस प्लेसमेंट में नौकरी मिल रही है।
बैंक ऑफ अमेरिका अपने देश में कर्मी घटा रहा है, लेकिन यहां राजधानी लखनऊ के कई कालेजों में स्नातक का कोर्स करने वाले छात्रों को इसी बैंक से नौकरी का आफर मिला है। लखनऊ विश्वविद्यालय से मैनेजमेंट का कोर्स कर रहे 8 छात्रों को बैंक ऑफ अमेरिका में काम करने का न्यौता मिला है।
इसी विश्वविद्यालय के इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट साइंस के विभिन्न कोर्सों मे पढ़ रहे करीब 200 छात्रों को कई बड़े संस्थानों में नौकरी के ऑफर मिले हैं। जनवरी के महीने में ही मेक माई ट्रिप डॉट कॉम कंपनी लखनऊ में कैंपस सेलेक्शन के जरिए 100 छात्रों को नौकरी के लिए चुनेगी।
यह कंपनी राजधानी सहित प्रदेश के तमाम शहरों में चल रहे ट्रेवल मैनेजमेंट के कोर्सों में पढ़ छात्रों में से अपने लिए स्टाफ की भर्ती करेगी। जय नारायण डिग्री कॉलेज के प्लेसमेंट सेल के प्रमुख डॉ अंशुमालि शर्मा का कहना है कि स्नातकों को भी 10,000 से 22,000 तक के मासिक वेतन वाली नौकरी मिल रही है।
लखनऊ विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट सेल के प्रभारी रह चुके प्रबंधन शिक्षक डॉ अजय प्रकाश के मुताबिक राज्य के कई शहर शिक्षा के गढ़ बन गए हैं, नतीजतन बड़ी कंपनियां कर्मचारी तलाशने के लिए इन्हीं शहरों का रुख कर रही हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय को छोड़ भी दिया जाए, तो एपी सेन डिग्री कॉलेज और नेशनल कॉलेज में भी कैंपस में ही छात्रों को नौकरी मिल रही हैं। नेशनल कॉलेज में ही बीते कुछ महीनों में आईसीआईसीआई बैंक ने 31, एचसीएल ने 10 और जेनपैक्ट ने कई छात्रों को नौकरी दी है।
शहर की प्तिष्ठित प्लेसमेंट कंपनी रामी रिसोर्सेज के निदेशक रजत श्रीवास्तव का कहना है कि नौकरियों के अवसरों को देख कर भारी तादाद में छात्र अब स्नातक करने के साथ ही संवाद दक्षता और व्यक्तित्व विकास के अल्पकालिक पाठयक्रमों में दाखिला ले लेते हैं, जिससे रोजगार हासिल करने में उन्हें अच्छी खासी मदद मिलती है।
श्रीवास्तव के मुताबिक मंदी का असर अभी कम है और नौकरियां मिल रही हैं। अलबत्ता बीपीओ क्षेत्र में कुछ अवसर जरूर घटे हैं।
भरी हुई हैं किसानों की जेबें
बेहतर फसल और अच्छे दाम मिलने के साथ ही उत्तर प्रदेश के गांवों में मंदी का खौफ कहीं नजर नहीं आ रहा है। लगातार दो साल तक उपज के सही दाम न मिलने से परेशान गन्ना किसानों के चेहरों पर अब मुस्कराहट है।
गन्ने की उपज में कमी आने के बाद अब चीनी मिलें किसानों से नकद खरीद कर रही हैं और कहीं-कहीं तो किसानों को बोनस भी दिया जा रहा है। इसी समय मानसून की वजह से धान की अच्छी पैदावार हुई है। सरकार किसानों से 800 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से धान खरीद रही है।
किसानों को बीते साल के मुकाबले धान के दाम 75 रुपये ज्यादा मिल रहे हैं। किसानों के कर्ज की माफी ने भी उनमें उत्साह भरा है। बीते साल सरकार ने किसानों को 950 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदा और 100 रुपये बोनस भी दिया। किसानों को आशा है कि इस साल उन्हें और ज्यादा दाम मिलेंगे।
गन्ना किसान कई सालों के बाद इस साल मौज काट रहे हैं। उत्तर प्देश सरकार ने पहले ही गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 140-145 रुपये घोषित कर दिया है। आलू किसान बंपर पैदावार के बाद अब निर्यात करने की तैयारी में हैं। कुल मिलाकर पैसे की कमी कहीं नजर नहीं आ रही है, इसलिए खरीदारी होना लाजिमी है।