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चीन में कच्चे रसायन के दाम बढ़े, भारत में दवाई के दाम चढ़े

Last Updated- December 06, 2022 | 12:45 AM IST

दवाओं के कच्चे रसायन के दामों में हो रही बढोतरी की वजह से घरेलू दवाई कंपनियां ज्यादातर जरूरी दवाओं की कीमतों में इजाफा कर सकती है। 


दरअसल चीन से आयात की जा रही इन दवाओं के कच्चे रसायन की कीमतों में वृद्धि हो गई है।उद्योग सूत्रों का कहना है कि अगर आयातित कच्चे रसायन की कीमतों में इसी तरह वृद्धि होती रही तो एंटीबायोटिक्स दवाओं की कीमतों में काफी वृद्धि हो जाएगी।


भारत के 35,000 करोड़ रुपये की घरेलू दवाओं के बाजार में इस एंटीबायोटिक्स का हिस्सा 60 प्रतिशत है।सूत्रों का कहना है कि एंटीबायोटिक्स बनाने में उपयोग होने वाले रसायन सिप्रोफ्लॉक्सासिन की कीमतों में पिछले तीन महीने में 47 प्रतिशत की बढोतरी हुई है। सूत्रों ने कहा कि तीन महीने पहले एक किलोग्राम सिप्रोफ्लॉक्सासिन की कीमत  950 रुपये हुआ करती थी जो बढ़कर अब 1,400 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है।


इसी प्रकार बहुत छोटे समय में एजिथ्रोमाइसिन की कीमत 4300 रुपये प्रति कि ग्रा से बढ़कर 5900 रुपये प्रति किग्रा हो गई है। दो तीन महीने पहले एमोक्सीसिलिन की कीमत 1450 रुपये प्रति कि ग्रा थी और यह बढ़कर अब 2150 रुपये प्रति किग्रा हो गई है।इस तरह के आम एंटीबायोटिक्स के निर्माण के लिए भारत चीन से आयातित होने वाले कच्चे रसायनों पर निर्भर है।


एक उद्योगपति ने बताया कि हमारे 90 प्रतिशत कच्चे रसायन की पूर्ति आयात के जरिये होता है। चीन से आयातित होने वाले कच्चे रसायन के दामों में वृद्धि की वजह से लगभग सभी दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। इस वजह से विटामिन-ई और बेटालैक्टम की कीमतों में भी वृद्धि हो रही है। चीन में लगाए गए पर्यावरणीय मानक और अन्य विशिष्टताओं के कारण इस कच्चे रसायनों की कीमतों में वृद्धि हुई है।


उद्योग चीन के द्वारा दी जाने वाली रियायत को हटा लेने को भी इन कीमतों में वृद्धि की एक वजह मानते हैं। कंपनियों का कहना है कि वे इस प्रतिस्पर्द्धी बाजार में बहुत कम मार्जिन लेकर दवाओं को बेच रहे हैं। लेकिन इस तरह की वृद्धि से दाम को बढ़ाना मजबूरी है।


मजेदार बात यह है कि पिछले कुछ महीने से महंगाई बढ़ने की वजह से जिन थोड़ा बहुत जरूरी चीजों के दाम नहीं बढ़े थे उनमें दवाई भी शामिल थी।


दवा बाजार पर चीनी ड्रैगन का असर


भारत के 35,000 करोड़ की घरेलू दवाओं के बाजार में इस एंटीबायोटिक्स का हिस्सा 60 प्रतिशत है।
देश के 90 प्रतिशत कच्चे रसायन की पूर्ति आयात के जरिये होता है।
सिप्रोफ्लॉक्सासिन की कीमत  950 रुपये से बढ़कर अब 1,400 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है।
एजिथ्रोमाइसिन की कीमत 4300 रुपये प्रति कि ग्रा से बढ़कर 5900 रुपये प्रति किग्रा हो गई है।

First Published - April 30, 2008 | 10:30 PM IST

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