निजी पूंजीगत खर्च में नरमी के बीच राजकोषीय घाटे को कम करने पर सरकार के जोर से वृद्धि की रफ्तार प्रभावित होने की चिंता बनी हुई है। इस बीच माना जा रहा है कि सरकार वित्त वर्ष 2026 के बजट में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.4 फीसदी पर रोकने का लक्ष्य तय कर सकती है।
एक सरकारी अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘बढ़ती भू-राजनीतिक चुनौतियों से बाहरी मांग पर असर पड़ सकता है और निजी पूंजीगत खर्च की वृद्धि भी सुस्त है। ऐसे में अगले वित्त वर्ष में आक्रामक राजकोषीय सख्ती का कदम शायद उचित नहीं होगा। मगर हमने राजकोषीय घाटे को कम करने का वादा किया है और उस रोडमैप के साथ समझौता किए बिना कुछ राजकोषीय गुंजाइश निकालने पर ध्यान देना होगा।’
चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर घटकर 5.4 फीसदी रह गई जो सात तिमाही में सबसे कम है। इसके साथ ही नवंबर में देश से वस्तुओं के निर्यात में भी 4.9 फीसदी की कमी आई है, जो भारतीय वस्तुओं के लिए बढ़ती वैश्विक चुनौतियों का संकेत देता है।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष (2024-25) के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 4.9 फीसदी तय किया है और वित्त वर्ष 2026 में इसे कम करके 4.5 फीसदी से नीचे लाने के लिए संकल्प जताया है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025 के अपने बजट भाषण में कहा था, ‘2021 में हमने जो राजकोषीय घाटे को कम करने का खाका पेश किया था उससे अर्थव्यवस्था को काफी मदद मिली है और अगले साल हमारा लक्ष्य राजकोषीय घाटे को 4.5 फीसदी से नीचे रखना है। सरकार इस दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। 2026-27 से हमारा प्रयास हर साल राजकोषीय घाटा जीडीपी के प्रतिशत में कम होगा।’
विश्लेषकों का मानना है कि वित्त वर्ष 2025 के लिए राजकोषीय घाटा लक्ष्य से कम रह सकता है क्योंकि केंद्र का पूंजीगत व्यय अभी तक सुस्त रहा है। लेखा महानियंत्रक के आंकड़ों के अनुसार केंद्र ने चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों (अप्रैल-अक्टूबर) में 11.1 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का केवल 42 फीसदी ही खर्च किया है।
इस बीच इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च ने उम्मीद जताई कि वित्त वर्ष 2025 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.8 फीसदी और वित्त वर्ष 2026 में जीडीपी का 4.5 फीसदी रह सकता है।
बार्कलेज ने एक शोध नोट में कहा है, ‘हम अक्टूबर के बाद के आधिकारिक आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि सरकार के खर्च में तेजी दिख रही है मगर अभी भी यह बजट लक्ष्य के करीब नहीं है। सरकार के पूंजीगत व्यय में वृद्धि अस्थायी है क्योंकि विनिवेश से प्राप्तियां भी उम्मीद के अनुरूप नहीं हैं। ऐसे में पूंजीगत खर्च को राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के तौर पर देखा जा सकता है।’
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजित बनर्जी ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि उद्योग निकाय ने सरकार को वित्त वर्ष 2025 में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी के 4.9 फीसदी और वित्त वर्ष 2026 में 4.5 फीसदी पर बनाए रखने का सुझाव दिया था। घाटे को इससे ज्यादा कम करने के प्रयास से वृद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। भारतीय उद्योग परिसंघ ने 2024-25 के बजट में राजकोषीय घाटे को ऐसे स्तर पर रखने की घोषणा का स्वागत किया है। इससे सरकार को ऋण और सकल घरेलू उत्पाद अनुपात को कम करने में मदद मिलेगी।