प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने सहकारी आंदोलन के प्रतिनिधियों से वैश्विक वित्तीय संस्थान की संभावनाएं खोजने का सोमवार को आह्वान किया। उन्होंने ऐसी संस्थाओं के लिए सहयोगी वित्तीय मॉडल की जरूरत पर भी जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सहकारिता आंदोलन को संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग वाली अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकॉनमी) से जोड़ने और इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की जरूरत है।
मोदी ने यहां भारत मंडपम में आईसीए ग्लोबल कॉपरेटिव कॉन्फ्रेंस 2024 को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के लिए सहकारी संस्थाएं उसकी संस्कृति और जीवन का हिस्सा हैं। भारत भविष्य की वृद्धि में सहकारी समितियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका देखता है। देश ने बीते 10 वर्षों में पूरे पारिस्थितिकीतंत्र को सहकारी संस्थाओं में परिवर्तित करने के लिए कार्य किया है।
उन्होंने कहा, ‘हमारा प्रयास सहकारी समितियों को बहुउद्देश्यीय भूमिका अदा करने वाला बनाना है।’ भारत सरकार ने इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए अलग सहकारी मंत्रालय बनाया। सहकारी संस्थाएं आवास क्षेत्र के साथ साथ बैंकिंग खंड में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं। देश के आवास क्षेत्र में करीब 2 लाख सहकारी संस्थाएं हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने सहकारी बैंकिंग प्रणाली को मजबूत किया है और इसमें सुधार किया।
उन्होंने कहा, ‘विश्व की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में एक भारत है। हमारा लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि हासिल करना है और इसके फायदे को गरीब लोगों तक पहुंचाना है। दुनिया के लिए विकास को मानव केंद्रित नजरिये से देखना जरूरी है।’
मोदी ने विश्व में सहकारी संस्थाओं के लिए बड़ी संभावनाओं पर जोर देते हुए कहा कि विश्व की अखंडता और पारस्परिक सम्मान के लिए सहकारी संस्थाओं को ध्वज वाहक बनने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘इसके लिए हमें नीतियों और रणनीतियों में नवोन्मेष की जरूरत है। हमें सहकारी समितियों के माहौल को मजबूत बनाने के लिए को संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग वाली अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकॉनमी) से जोड़ने की आवश्यकता है। हमें सहकारी क्षेत्र में स्टार्टअप को मजबूत करने के तरीकों के लिए विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है।’
वर्तमान समय में सहकारी बैंकों में करीब 12 लाख करोड़ रुपये की राशि जमा है। प्रधानमंत्री ने उपस्थित लोगों को यह भी जानकारी दी कि उनकी सरकार सहकारी संस्थाओं को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस क्रम में गांवों में करीब 2 लाख अतिरिक्त बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियों की स्थापना की गई है।
उन्होंने सहकारी आंदोलन में महिलाओं की भूमिका की तारीफ करते हुए कहा कि इसकी 60 प्रतिशत सदस्य महिलाएं हैं।