मंदी के डर और बढ़ती ब्याज दरों को देखते हुए नोमुरा ने 2023 के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.7 प्रतिशत कर दिया है। एजेंसी ने पहले वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
नोमुरा में भारत और एशिया की प्रमुख अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने अरुदीप नंदी के साथ एक नोट में लिखा है, ‘निर्यात में संघर्ष शुरू हो चुका है, जबकि बढ़ा आयात मासिक व्यापार घाटा बढ़ा रहा है, जो रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है। उच्च महंगाई दर, मौद्रिक नीति की सख्ती, निजी पूंजीगत व्यय में वृद्धि, बिजली के संकट और वैश्विक वृद्धि में सुस्ती से मध्यावधि व्यवधान आया है। इसे देखते हुए हमने 2023 के जीडीपी वृद्धि का अनुमान 5.4 प्रतिशत से घटाकर 4.7 प्रतिशत कर दिया है।’
हालांकि सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। नोमुरा ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था महामारी के पहले के स्तर से ऊपर चल रही है। इसकी प्रमुख वजह सेवा क्षेत्र में तेज रिकवरी और वित्तीय शर्तें आसान करना, सार्वजनिक पूंजीगत व्यय और बैंक के कर्ज में वृद्धि है। इसमें कहा गया है कि सुधार व्यापक आधार पर खपत, निवेश, उद्योग और बाहरी क्षेत्र में है। महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार की हाल की वित्तीय कवायदों को देखते हुए वर्मा और नंदी का मानना है कि महंगाई ऊपर जाने का खतरा है, क्योंकि इनपुट लागत में तेजी, सेवा क्षेत्र के फिर से खुलने के दबाव, बिजली दरों में वृद्धि लंबित होने और महंगाई बढ़े स्तर पर बने रहने जैसे खतरे जारी हैं।परिणामस्वरूप नोमुरा अब उम्मीद कर रही है कि प्रमुख महंगाई दर 2022 में औसतन 6.9 प्रतिशत और 2023 में 5.9 प्रतिशत रहेगी।
बहरहाल हाल की आर्थिक प्रगति बहुत उत्साहजनक नहीं रही है। भारत की खुदरा महंगाई दर सीपीआई 7.01 प्रतिशत पर आ गई है, जो मई में 7.04 प्रतिशत थी। यह लगातार छठा महीना है जब महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक के लक्ष्य की तुलना में ज्यादा है। बहरहाल औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) मई में तेजी से बढ़ा है और यह 19.6 प्रतिशत रहा है, जो अप्रैल में 6.7 प्रतिशत था।
