आगामी 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले केंद्रीय बजट में वित्त वर्ष 2026 के लिए नॉमिनल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान 10 से 10.5 फीसदी के बीच रखे जाने की संभावना है। बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा 10 अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए सर्वेक्षण से यह अनुमान सामने आया है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने मंगलवार को जारी पहले अग्रिम अनुमान में वित्त वर्ष 2025 में नॉमिनल जीडीपी वृद्धि 9.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। नॉमिनल जीडीपी की गणना मौजूदा बाजार भाव पर की जाती है और इसमें महंगाई दर को शामिल नहीं किया जाता। इसका इस्तेमाल महत्त्वपूर्ण वृहद आर्थिक संकेतकों जैसे राजकोषीय घाटा, राजस्व घाटा और कर्ज-जीडीपी अनुपात की गणना करने में आधार के रूप में किया जाता है।
ज्यादा नॉमिनल जीडीपी के अनुमान से वित्त मंत्री के लिए कम राजकोषीय घाटा दिखाने में सुविधा होती है और कम नॉमिनल जीडीपी रहने पर इसके विपरीत होता है। बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि वित्त वर्ष 2026 के लिए नॉमिनल जीडीपी वृद्धि 10.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया जा सकता है क्योंकि आधार का असर कम है और महंगाई दर के आंकड़े कम (करीब 4 फीसदी) हैं, जिससे खपत बहाल होगी।
खाद्य कीमतें अधिक रहने के कारण पिछले 2 साल से खाद्य महंगाई थोड़ी अधिक रही है। साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक ने भी दिसंबर में वित्त वर्ष 2025 के दौरान महंगाई दर बढ़कर 4.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जबकि पहले उसने 4.5 फीसदी का अनुमान लगाया था।
इंडिया रेटिंग्स में वरिष्ठ आर्थिक विश्लेषक पारस जयराय का कहना है कि खपत की मांग में धीरे-धीरे सुधार और मौद्रिक नीति में ढील के कारण सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों से निवेश आने से वित्त वर्ष 2026 में नॉमिनल जीडीपी वृद्धि तेज होकर 10.2 फीसदी रह सकती है। उन्होंने कहा, ‘भारत इस समय मौद्रिक, राजकोषीय और बाहरी सख्ती का सामना कर रहा है। मौद्रिक शर्तें अब नरम होने की संभावना हैं, जबकि राजकोषीय व बाहरी सख्ती वित्त वर्ष 2025 में भी जारी रह सकती हैं।’
पीएल कैपिटल में चीफ ग्रुप इकॉनमिस्ट अर्श मोगरे कहते हैं कि नॉमिनल वृद्धि 10 से 10.5 फीसदी के बीच हो सकती है, क्योंकि रिजर्व बैंक द्वारा दरों में कटौती का अनुमान है, जिससे मौद्रिक ढील मिलेगी और इससे मांग में सुधार को आगे और बल मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘बहरहाल निजी पूंजीगत व्यय खंडित बना हुआ है, जिससे कंपनियों के सावधानी बतरने की धारणा का संकेत मिलता है। यूरोप जैसे प्रमुख निर्यात बाजारों से कमजोर मांग का जोखिम है और अमेरिका द्वारा शुल्क बढ़ोतरी की संभावना भी बुरा असर डाल सकती है। साथ ही घरेलू विनिर्माताओं को चीन के अतिरिक्त निर्यात से कड़ी प्रतिस्पर्धा झेलनी पड़ रही है।’
यूएसबी सिक्योरिटीज में चीफ इंडिया इकॉनमिस्ट तन्वी जैन गुप्ता ने कहा कि घरेलू वृद्धि कमजोर रहने और भूराजनीतिक व व्यापार युद्ध की अनिश्चतता के कारण नॉमिनल जीडीपी वित्त वर्ष 2026 में 9.8 फीसदी पर बने रहने की संभावना है। इसके विपरीत डेलॉयट इंडिया में अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार को उम्मीद है कि नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर 10.8 फीसदी से 11.3 फीसदी के बीच रखे जाने की संभावना है, जबकि वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.8 फीसदी से 7.3 फीसदी रहने का अनुमान है।
मजूमदार ने कहा, ‘पूरे वर्ष के दौरान सार्वजनिक पूंजीगत व्यय अधिक रहने के साथ ही लगातार निजी निवेश बने रहने से वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा, जिसकी 2024 में कमी थी। वित्त वर्ष 2026 में महंगाई दर कम रहने की संभावना है, जिससे खपत बढ़ेगी। आपूर्ति की स्थिति देखें तो पीएलआई योजनाएं गति पकड़ रही हैं और इसका जमीनी असर दिखना शुरू हो जाएगा।’