वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज लोकसभा को सूचित किया कि देश में बिटकॉइन को मुद्रा के रूप में मान्यता देने का कोई प्रस्ताव नहीं है। निचले सदन में एक लिखित जवाब में सीतारमण ने कहा कि सरकार ने बिटकॉइन के लेनदेन का कोई आंकड़ा एकत्र नहीं किया है।
क्या सरकार के पास बिटकॉइन को देश में मुद्रा के रूप में पहचान देने का प्रस्ताव है, इस सवाल के उत्तर में वित्त मंत्री ने कहा, ‘नहीं, श्रीमान।’
बिटकॉइन एक डिजिटल मुद्रा है, जिसमें लोग बगैर बैंक, क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता या अन्य किसी थर्ड पार्टी के वस्तुओं और सेवाओं की खरीदारी करते हैं और मुद्रा विनिमय करते हैं।
इसे 2008 में एक बगैर पहचान वाले प्रोग्रामरों के समूह द्वारा 2008 में क्रिप्टोकरेंसी के साथ इलेक्ट्रॉनिक भुगतान व्यवस्था के रूप में पेश किया गया था। खबरों के मुताबिक यह पहली विकेंद्रित डिजिटल मुद्रा है, जहां बगैर मध्यस्थ के एक पक्ष, दूसरे पक्ष के साथ लेन-देन करता है।
सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी ऐंड रेगुलेशन आफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021 पेश करने की योजना बनाई है। इस विधेयक में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने, लेकिन तकनीक को अनुमति देने की बात कही गई है।
महंगाई दर
सीतारमण ने लोकसभा मेंं कहा कि प्रमुख आवश्यक जिंसों के दाम की निगरानी सरकार नियमित तौर पर कर रही है और समय समय पर इस दिशा में सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं।
उन्होंने एक लिखित जवाब में कहा कि महंगाई मुख्य रूप से बाहरी वजहों से है, जिसमें खाद्य तेल व कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय दाम में बढ़ोतरी शामिल है, जिसका असर घरेलू जिंसों के दाम पर पड़ा है क्योंकि भारत इस वस्तुओं के आयात पर निर्भर है।
उन्होंने कहा कि थोक मूल्य सूचकांक में बढ़ोतरी भी मुख्य रूप से ईंधन और बिजली से संचालित होता है और विनिर्मित वस्तुओं का उत्पाद वैश्विक कच्चे तेल के दाम और अंतरराष्ट्रीय जिंसों के बढ़े दाम से प्रभावित हुआ है, जिनका इनपुट के रूप में इस्तेमाल होता है।
उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से आपूर्ति को लेकर कदम उठाए गए हैं, जिससे महंगाई का दबाव कम हो सके।
एक अन्य जवाब में उन्होंने कहा कि मंत्रालयों और विभागों ने चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-सितंबर के दौरान 2.29 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय के रूप में खर्च किए हैं। यह 5.54 लाख करोड़ रुपये के 2021-22 के बजट अनुमान का 41 प्रतिशत है। वास्तविक व्यय चालू वित्त वर्ष के दौरान पिछले वित्त वर्ष 21 की समान अवधि की तुलना में करीब 38 प्रतिशत ज्यादा है।
जीएसटी मुआवजा
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने निम्न सदन को सूचित किया कि सितंबर 2021 तक राज्यों का करीब 51,798 करोड़ रुपये जीएसटी मुआवजा बकाया है। उन्होंने कहा कि राज्यों को 2020-21 और 2021-22 वित्त वर्ष में क्रमश: 1.10 लाख करोड़ रुपये और 1.59 लाख करोड़ रुपये कर्ज जारी किए गए हैं।