इस सप्ताह के आखिर में आने जा रही विदेश व्यापार नीति (FTP) के तहत सेवाओं के निर्यात के लिए प्रोत्साहन योजना आने की संभावना नहीं है। सेवा निर्यात संवर्धन परिषद के चेयरमैन सुनील एच तलाटी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि सरकार अपने विचार पर कायम है कि सभी सेवा क्षेत्र आत्मनिर्भर हैं और बगैर प्रोत्साहन के ही यह क्षेत्र विदेशी मुद्रा (फॉरेक्स) कमा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘अगर सरकार अन्य उत्पादन क्षेत्रों को उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं से जोड़ रही है तो सेवा क्षेत्र को क्यों अलग क्यों रखा जाना चाहिए? जहां तक वस्तुओं के उत्पादन का सवाल है, पूरी दुनिया में प्रतिस्पर्धी बाजार है। कई देश भारत से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें प्रोत्साहन की जरूरत है। भारत का सेवाओं का निर्यात बाकी हिस्सों से बेहतर है।’
उन्होंने कहा कि सरकार का दृढ़ विचार है कि सेवा निर्यात को कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जाना चाहिए।
हालांकि कोई वित्तीय प्रोत्साहन होने की संभावना नहीं है, लेकिन तलाटी ने कहा कि सरकार निर्यात बढ़ावा देने के लिए बिजनेस टु बिजनेस (B to B) बैठकें बढ़ा रही है।
तलाटी का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब भूराजनीतिक तनावों की वजह से वैश्विक अनिश्चितता, उच्च महंगाई दर और विकसित देशों में मंदी की वजह से वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात प्रभावित हो रहा है।
पिछले 5 महीने में तीसरी बार वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात कम हुआ है और यह फरवरी में 8.8 प्रतिशत घटकर 33.88 अरब डॉलर रह गया है।
बहरहाल वाणिज्य विभाग के अनुमान के मुताबिक फरवरी महीने में सेवाओं का निर्यात 36 प्रतिशत बढ़कर 29.15 अरब डॉलर हो गया है।
उन्होंने कहा, ‘सेवाओं की मांग लगातार बढ़ रही है। भारत से सूचना तकनीक सेवाओं में अभी कोई प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं है। अकाउंटिंग और ऑडिटिंग, मेडिकल टूरिज्म, हॉस्पिटैलिटी और पर्यटन जैसे अन्य क्षेत्र धीरे धीरे खुल रहे हैं। इससे हमारा निर्यात उल्लेखनीय रूप से बढ़ रहा है।’
चालू वित्त वर्ष 2022-23 के अंत तक सेवा निर्यात 28 से 30 प्रतिशत बढ़कर 235 से 350 अरब डॉलर के बीच रह सकता है। अप्रैल-फरवरी के दौरान सेवा के निर्यात में 30.4 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई थी और यह 296.94 अरब डॉलर था।
पिछले साल वाणिज्य विभाग सर्विस एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (SEIS) को दुरुस्त करने पर काम कर रहा था, जिससे महामारी से प्रभावित पर्यटन, हॉस्पिटलिटी, शिक्षा और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों को सहायता मिल सके।
पिछले दो वित्त वर्षों 2020-21 और 2021-22 के दौरान सेवा निर्यात के लिए कोई प्रोत्साहन योजना नहीं आई है।